अमेरिकी Burger King पर भारी पड़ा पुणे का Burger King, कोर्ट के दखल के बाद सुलझा मामला, जानें पूरी कहानी
Burger King vs Burger King: अमेरिकी कंपनी Burger King पुणे के इसी नाम वाले रेस्टोरेंट के खिलाफ 13 साल पुरानी कानूनी लड़ाई हार गई है. कोर्ट ने 20 लाख रुपये हर्जाने की मांग भी खारिज कर दी है.
2011 से चली आ रही 'नाम की लड़ाई' में पुणे का बर्गर किंग अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी बर्गर किंग पर भारी पड़ गया है. अमेरिका कंपनी बर्गर किंग कॉरपोरेशन महाराष्ट्र के पुणे में इसी नाम वाले रेस्टोरेंट के खिलाफ 13 साल पुरानी कानूनी लड़ाई हार गई है.
पुणे की एक जिला अदालत ने अमेरिकी कंपनी द्वारा ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दायर किए गए मुकदमे को खारिज कर दिया है. जिला न्यायाधीश सुनील वेदपाठक ने 16 अगस्त को दिए आदेश में कहा है कि पुणे का 'बर्गर किंग' अमेरिकी बर्गर कंपनी के भारत में दुकान खोलने से पहले से ही काम कर रहा था. अदालत ने यह भी कहा कि अमेरिकी बर्गर किंग यह साबित करने में विफल रही कि पुणे का बर्गर किंग ने उसके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है.
क्या था मामला?
अमेरिकी बर्गर किंग कंपनी ने साल 2011 में पुणे के बर्गर किंग के खिलाफ ट्रेडमार्क के उल्लंघन और इसे अपना बताते हुए कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. पुणे स्थित बर्गर किंग फूड जॉइंट के मालिकों अनाहिता इरानी और शापूर इरानी के खिलाफ दायर इस मुकदमे में 20 लाख रुपये के हर्जाने की भी मांग की गई थी.
अमेरिकी कंपनी से पहले पुणे का बर्गर किंगः कोर्ट
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अमेरिकी बर्गर किंग कॉरपोरेशन ने भारत में अपने ट्रेडमार्क बर्गर किंग के तहत रेस्टोरेंट सेवाएं देने की शुरुआत 2014 में की. जबकि पुणे का बर्गर किंग 1991-92 से अपनी सेवाएं दे रहा है.
अमेरिकी बर्गर किंग की स्थापना साल 1954 में हुई थी. वहीं, भारत में कंपनी की एंट्री 2014 में हुई थी. अमेरिकी बर्गर किंग के दुनियाभर में 13 हजार से ज्यादा रेस्टोरेंट्स हैं.