Railway Budget: साल 2014 में केंद्र में सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की ओर कई बड़े फैसले लिए गए हैं. इन फैसलों से देश पर भी काफी असर देखने को मिला है. वहीं बजट को लेकर भी मोदी सरकार की ओर से अपने पहले कार्यकाल में अहम फैसला लिया गया था. यह फैसला आम बजट और रेलवे बजट से जुड़ा हुआ था.


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बजट
सरकार ने वर्ष 2017 में रेलवे बजट को केंद्रीय बजट के साथ विलय कर दिया. इसके साथ ही साल 1924 में शुरू हुई एक प्रथा का भी अंत हो गया. बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई की एक समिति के जरिए इस अभ्यास को खत्म करने की सिफारिश के बाद ब्रिटिश युग की प्रथा को छोड़ने का कदम उठाया गया.


रेलवे बजट
दरअसल, नीति आयोग आयोग ने इस प्रथा को दूर करने के लिए एक श्वेत पत्र की सिफारिश प्रस्तुत की. सिफारिश तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को सौंपी गई थी. उन्होंने रेलवे और भारतीय अर्थव्यवस्था के कल्याण के लिए रेलवे और केंद्रीय बजट को मर्ज करने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखा था.


केंद्रीय बजट
अरुण जेटली ने 2016 में राज्यसभा में इसे उठाया और दोनों बजटों के विलय की योजना के लिए एक विशेष समिति गठित की गई. नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में रेल बजट में काफी कमी आई थी और इसलिए एक अलग बजट की आवश्यकता नहीं थी. सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि अंग्रेजों ने यह प्रथा 1924 में शुरू की थी क्योंकि सरकारी राजस्व और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रेलवे राजस्व पर निर्भर था.


बजट 2023
भारत अकेला ऐसा देश था जिसका अलग रेल बजट था. हालांकि 2017 में अरुण जेटली ने पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया और तब से देश में सिर्फ आम बजट ही पेश किया जाता है और अब अलग से रेलवे बजट पेश नहीं किया जाता है.


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