RBI ने एक और को-ऑपरेटिव बैंक पर लगाई छह माह की रोक, ग्राहकों पर पड़ेगा बड़ा असर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को-ऑपरेटिव बैंकों के संचालन के तौर तरीकों पर सख्ती दिखा रहा है.
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को-ऑपरेटिव बैंकों के संचालन के तौर तरीकों पर सख्ती दिखा रहा है. पीएमसी बैंक के बाद लगातार देश के अलग-अलग शहरों में स्थित ऐसे बैंकों पर परिचालन करने पर रोक लगा रहा है. गुरुवार को केंद्रीय बैंक ने कानपुर स्थित पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण उसके ऊपर छह महीने के लिये नये ऋण देने और जमा स्वीकार करने से रोक दिया है.
ग्राहक नहीं निकाल सकेंगे पैसा
रिजर्व बैंक ने कहा कि इस सहकारी बैंक से किसी जमाकर्ता को राशि की निकासी करने की भी सुविधा फिलहाल नहीं मिलेगी. आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘10 जून, 2020 को व्यवसाय बंद होने के बाद, बैंक रिजर्व बैंक की लिखित अनुमति के बिना कोई नया लोन देने या पुराने बकाये को नवीकृत नहीं कर सकेगा। इसके अलावा बैंक कोई नया डिपॉजिट नहीं कर सकेगा और न ही नया विथड्ऱॉल कर सकेगा.’’
बैंक को संपत्ति बेचने पर भी रोक
रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंक के ऊपर किसी संपत्ति को बेचने, स्थानांतरित करने या उसका निपटान करने से रोक दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा, "विशेष रूप से, सभी बचत बैंक या चालू खाते या जमाकर्ता के किसी भी अन्य खाते में कुल शेष राशि को निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है." यह निर्देश 10 जून को कारोबार बंद होने के छह महीने बाद तक लागू रहेंगे और समीक्षा के अधीन होंगे.
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लाइसेंस नहीं हुआ है रद्द
हालांकि रिजर्व बैंक ने यह स्पष्ट किया कि इस निर्देश को सहकारी बैंक के बैंकिंग लाइसेंस को रद्द करने के रूप में नहीं लिया जाना चाहिये. बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग व्यवसाय करना जारी रखेगा.
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