Indian Currency: RBI समिति ने दिए बड़े सुझाव, इस तरह उठाया कदम तो रुपया बन सकता है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा
Indian Rupee: सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिये आरटीजीएस के अंतर्राष्ट्रीय उपयोग तथा सतत संबद्ध निपटान (सीएलएस) प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यक्ष निपटान मुद्रा के रूप में रुपये को शामिल करने की जरूरत बताई गई है. सीएलएस व्यवस्था विदेशी मुद्रा लेनदेन के निपटान से जुड़े जोखिम को कम करने के लिये तैयार की गयी है.
RBI Update: भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिए कई अल्पकालीन और दीर्घकालीन सुझाव दिए. इन सुझावों में भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) समूह में शामिल करने और सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिए आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) का अंतरराष्ट्रीय इस्तेमाल करना शामिल है. इसके अलावा रुपये में व्यापार निपटान के लिए निर्यातकों को युक्तिसंगत प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की गई है. सडीआर मुद्राकोष के सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के तौर पर बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है. एसडीआर समूह से किसी देश को जरूरत के समय नकदी दी जाती है.
भारतीय रुपया
एसडीआर में अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड शामिल हैं. आरबीआई के कार्यकारी निदेशक आर एस राठो की अध्यक्षता वाले अंतर विभागीय समूह (आईडीजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक प्रक्रिया है, जिसमें अतीत में उठाये गये सभी कदमों को आगे बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयास किये जाने की जरूरत है. समिति ने अल्पकालिक उपायों के तौर पर भारतीय रुपये और स्थानीय मुद्राओं में बिल बनाने, निपटान और भुगतान को लेकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था पर प्रस्तावों की जांच करने का सुझाव दिया है.
रुपया
इसके अलावा भारत और भारत के बाहर दोनों जगह प्रवासियों (विदेशी बैंकों के नोस्ट्रो खातों के अलावा) के लिये रुपया खाते खोलने को प्रोत्साहित करने को एक रूपरेखा तथा एक मानकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. नोस्ट्रो खाता से आशय उस खाते से है जो एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा के रूप में रखता है. समिति ने सीमापार लेनदेन के लिये अन्य देशों के साथ भारतीय भुगतान प्रणालियों को एकीकृत करने और वैश्विक स्तर पर पांचों कारोबारी दिन 24 घंटे काम करने वाले भारतीय रुपया बाजार को बढ़ावा देकर वित्तीय बाजारों को मजबूत करने का सुझाव दिया है.
रुपये में लेनदेन
साथ ही भारत को रुपये में लेनदेन और मूल्य खोज के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की भी सिफारिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई व्यवस्था को व्यवस्थित करने और मौजूदा 'अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) दिशानिर्देशों को तर्कसंगत बनाने तथा रुपये में व्यापार निपटान के लिये निर्यातकों को प्रोत्साहन देने की भी आवश्यकता है. समिति ने मध्यम अवधि की रणनीति के तहत मसाला बॉन्ड (विदेशों में रुपये मूल्य में जारी होने वाले बॉन्ड) पर करों की समीक्षा करने का सुझाव दिया है.
व्यापारिक लेनदेन
साथ ही सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिये आरटीजीएस के अंतर्राष्ट्रीय उपयोग तथा सतत संबद्ध निपटान (सीएलएस) प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यक्ष निपटान मुद्रा के रूप में रुपये को शामिल करने की जरूरत बताई गई है. सीएलएस व्यवस्था विदेशी मुद्रा लेनदेन के निपटान से जुड़े जोखिम को कम करने के लिये तैयार की गयी है. इसके अलावा, भारत और अन्य वित्तीय केंद्रों की कर व्यवस्थाओं में सामंजस्य स्थापित करने को लेकर वित्तीय बाजारों में कराधान के मुद्दों पर गौर करना और भारतीय बैंकों की विदेशों में स्थित शाखाओं के माध्यम से भारतीय रुपये में बैंक सेवाओं की अनुमति देने का भी सुझाव दिया गया है.
रिजर्व बैंक
रिजर्व बैंक के इस अंतर-विभागीय समूह का गठन दिसंबर 2021 में किया गया था. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में रुपये की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करना और भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को लेकर एक रूपरेखा बनाना था. आरबीआई ने कहा कि यह रिपोर्ट और इसकी सिफारिशें अंतर-विभागीय समूह की सोच है और किसी भी तरह से केंद्रीय बैंक के आधिकारिक रुख को प्रतिबिंबित नहीं करता है. इन सिफारिशों को क्रियान्वित करने के लिये उस पर गौर किया जाएगा. (इनपुट: भाषा)
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