Slower Deposit Growth: बैंकों में प‍िछले कुछ समय से ड‍िपॉज‍िट ग्रोथ ग‍िर रही है और क्रेड‍िट ग्रोथ बढ़ रही है. इसको लेकर आरबीआई गवर्नर शक्‍त‍िकांत दास (Shaktikanta Das) ने भी आगाह क‍िया. कुछ समय पहले ही देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी ने भी प‍िछले द‍िनों लोन की बजाय सेव‍िंग पर फोकस करने का फैसला क‍िया है. र‍िजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा क‍ि जमा वृद्धि, जो पिछले कुछ समय से लोन ग्रोथ से पीछे चल रही है. इससे बैंकों का स्‍ट्रक्‍चरण ल‍िक्‍व‍िड‍िटी इश्‍यू उजागर हो सकता है. दास ने यह भी कहा क‍ि दूसरे निवेशों के अलावा बैंक जमा के बजाय म्यूचुअल फंड की तरफ ग्राहकों ज्‍यादा फोकस करने के करण यह बदलाव आया है.


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आने वाले समय के ल‍िए रणनीति तैयार करने की जरूरत


आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लोन द‍िया गया पैसा जमा के रूप में बैंकों के पास लौट आता है. लेक‍िन मौजूदा समय में रेग्‍युलेटर ने इस पर च‍िंता जाह‍िर करते हुए कहा क‍ि इस संकट को को पहचानने और इसके अनुसार आने वाले समय में अपनी रणनीति तैयार करने की जरूरत है. पहले ज्‍यादातर लोग बैंकों में ही पैसा जमा कराते थे. लेकिन अब वो अपनी बचत को अलग-अलग जगह न‍िवेश कर रहे हैं. पहले के मुकाबले म्यूचुअल फंड, इंश्‍योरेंस और पेंशन फंड के तौर पर न‍िवेश के विकल्‍प बढ़ गए हैं. इससे बैंकों को परेशानी हो रही है क्योंकि उनके पास जमा राशि लगातार कम हो रही है.


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कैश को मैनेज करने में भी दिक्कत
जमा राश‍ि की कमी को पूरा करने के लिए बैंक शॉर्ट टर्म लोन ले रहे हैं और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट जारी कर रहे हैं. मगर इससे ब्याज दर में बदलाव का असर उन पर ज्‍यादा पड़ता है और उन्हें अपने कैश को मैनेज करने में भी दिक्कत होती है. यह सब आरबीआई गवर्नर ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम के दौरान कहा. शक्तिकांत दास ने इस पर च‍िंता जताई क‍ि बैंकों में जमा राशि जितनी तेजी से बढ़नी चाहिए उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है. उन्‍होंने बताया क‍ि मौजूदा व‍ित्‍त वर्ष की पहली त‍िमाही के दौरान बैंक लोन में 14% की वृद्धि के मुकाबले बैंक ड‍िपॉज‍िट में 10.6% की ही दर से बढ़ा है.


उतार-चढ़ाव को संभालने के ल‍िए मजबूत स‍िस्‍टम की जरूरत
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में हुए बैंक संकट से यह सामने आया है क‍ि बैंकों को कैश (liquidity) को मैनेज करने और ब्याज दरों (interest rate) के उतार-चढ़ाव को संभालने के ल‍िए मजबूत स‍िस्‍टम की जरूरत है. इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों के लिए ल‍िक्‍व‍िड‍िटी कवरेज रेश्यो के नियमों को फिर से देख रहा है ताकि किसी भी तरह की समस्या से बचा जा सके. दास ने यह भी कहा कि डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ-साथ बैंकों को साइबर स‍िक्‍योर‍िटी का भी ध्‍यान रखना होगा.


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उन्‍होंने कहा, ऑनलाइन फ्रॉड तेजी से बढ़ रहा है. धोखेबाज 'म्यूल बैंक अकाउंट' का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे हैं. ये वो खाते होते हैं जिन्हें कोई दूसरा व्यक्ति खोलता है और फिर फ्रॉड करने वाले अपनी ठगी से कमाए पैसों को उसमें जमा कर लेते हैं. यह भले ही अकाउंट खोलने वाले की मर्जी से हो या बिना मर्जी के. दास का कहना है कि ऐसे खातों से बैंकों को न सिर्फ व‍ित्‍तीय नुकसान होता है बल्कि उनके कामकाज में भी परेशानी आती है और उनकी साख (reputation) को भी धक्का लगता है.


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