नई दिल्लीः इस हफ्ते गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक(Reserve Bank of India) की मौद्रिक समीक्षा नीति (Monetary Policy Committiee) की बैठक के नतीजे आएंगे. कोरोना काल में होने जा रही इस बैठक में ये पता चलेगा कि क्या आरबीआई रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में किसी तरह का परिवर्तन करेगा. वैसे एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस बार भी ब्याज दरों में कमी होने की गुंजाइश काफी कम है. 


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एक अक्टूबर को एमपीसी के नतीजे
हमारी सहयोगी वेबसाइट ZeeBiz.com के अनुसार, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा के नतीजे एक अक्टूबर को आएंगे. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी. इस बैठक का असर शेयर बाजार की चाल पर भी देखने को मिलेगा. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,457.16 अंक या 3.83 फीसदी टूटा था. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 4.04 फीसदी की गिरावट आई थी. बीते सप्ताह गुरुवार तक लगातार छह कारोबारी सत्रों में बाजार नीचे आया. वृद्धि को लेकर चिंता के बीच इसमें सात फीसदी से अधिक की गिरावट आई. हालांकि, शुक्रवार को बाजार में सुधार हुआ और इसने दो फीसदी का लाभ दर्ज किया.


अमेरिका, ब्रिटेन के जीडीपी आंकड़ों का भी दिखेगा असर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों तथा पिछले कुछ सत्रों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली की वजह से निकट भविष्य में बाजार नरम रहेगा.' उन्होंने कहा कि इस सप्ताह निवेशकों की निगाह अमेरिका और ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़ों, अमेरिका के पीएमआई आंकड़ों पर रहेगी. इसके अलावा घरेलू मोर्चे पर रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और वृहद आर्थिक आंकड़े बाजार को दिशा देंगे. विनिर्माण क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े गुरुवार (1 अक्टूबर) को आएंगे.


ब्याज दर में नहीं होगी कटौती
ब्याज दर को लेकर कटौती न होने की राय एक्सपर्ट्स ने दी है. उनका मानना है कि खुदरा महंगाई बढ़ने के चलते आरबीआई ब्याज दर को स्थिर रखेगा. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना कि सप्लाई से जुड़े मुद्दों के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है, ऐसे में केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बदलाव की संभावना कम है.


भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने इससे पहले कहा था कि आगे और मौद्रिक एक्शन की गुंजाइश है, लेकिन हमें अपने ‘हथियारों’ का इस्तेमाल समझदारी से करना होगा. अगस्त में एमपीसी की पिछली मीटिंग में रिजर्व बैंक ने महंगाई में बढ़ोतरी को रोकने के लिए नीतिगत दरों (Repo Rate) में बदलाव नहीं किया था. तब रिजर्व बैंक ने कहा था कि महामारी के चलते इकोनॉमी की स्थिति बेहद कमजोर है. खबर के मुताबिक, फरवरी से रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है.


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