पुणे: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को लेकर संशोधित दिशानिर्देश से ऋण संस्कृति में सुधार को स्थायित्व मिलेगा. उन्होंने यहां एनआईबीएम में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (प्रबंधन) के 15वें सालाना दीक्षांत समारोह में कहा कि नया दिशानिर्देश दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया में देरी को हतोत्साहित करने का प्रावधान है.


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उच्चतम न्यायालय ने एनपीए को लेकर रिजर्व बैंक के पुराने दिशानिर्देश को रद्द कर दिया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एनपीए को लेकर नया दिशानिर्देश जारी किया.


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दास ने कहा कि नये दिशानर्देश में दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया शुरू करने में देरी होने पर अतिरिक्त प्रावधान किये गये हैं. उन्होंने कहा कि इसमें ऋणदाताओं के बीच आपसी अनुबंध को अनिवार्य बना दिया गया है. इसके अलावा, जब भी जरूरत महसूस होगी, रिजर्व बैंक विशिष्ट डिफॉल्ट की स्थिति में बैंकों को दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देगा.