Reserve Bank of India: डिजिटल करेंसी के दम पर दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की तैयारी की जा रही है. देश में डिजिटल करेंसी (E-Rupee) के युग की शुरुआत हो गई है। बजट 2022 में हुई घोषणा के अनुसार (भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने योजना का पायलट परीक्षण किया. 'डिजिटल रुपये' के पहले पायलट परीक्षण में आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.


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275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए
सूत्रों के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (CBDC) का यूज करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. उन्होंने बताया कि डिजिटल रुपये के साथ कुल 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.


एक महीने पहले क‍िया था ऐलान
आरबीआई (RBI) ने डिजिटल रुपये का पहला पायलट परीक्षण शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा था कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) का पहला पायलट प्रोजेक्‍ट एक महीने के अंदर शुरू करने की योजना है. यह परीक्षण विशेष उपयोगकर्ता समूहों के बीच चुनिंदा स्थानों में किया जाएगा, जिसमें ग्राहक और कारोबारी शामिल हैं.


निपटान लागत में कमी आने की संभावना
आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी लाने की संभावनाओं को टटोल रहे हैं. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.


कैसे काम करेगी ड‍िज‍िटल करेंसी?
दरअसल, यह सवाल बहुत से लोगों के मन में है. ड‍िज‍िटल करेंसी एक वाउचर की तरह है, जिसे ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. इसको वही यूज कर सकेगा, ज‍िसके ल‍िए इसे जारी क‍िया गया है. ई-रुपी वाउचर को जारी क‍िए जाने के बाद इसका यूज एक ही बार हो सकेगा. ई-रुपी को लाभार्थी के मोबाइल पर भेजा जाएगा. यह क्यूआर कोड या एसएमएस के रूप में लाभार्थी को प्राप्‍त होगा.


नोटों पर लगने वाली लागत कम होगी
आरबीआई (RBI) के अनुसार 100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 रुपये खर्च होते हैं. एक नोट चार साल तक चल पाता है. इसके बाद आरबीआई को दूसरा नोट छापना पड़ता है. बार-बार नोटों की छपाई में हजारों करोड़ का खर्च करना पड़ता है. आरबीआई ने फाइनेंश‍ियल ईयर 2021-22 में 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे. ड‍िज‍िटल करेंसी के चलन में आने पर नोटों की छपाई काफी कम करनी होगी.


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