नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक घोटाले के बाद अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के कामकाज को दुरुस्त करने के लिए कई कदमों का ऐलान किया है. लेकिन इसमें से कई कदम ऐसे हैं जिसे लेकर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक नाराज़ हैं. ज़ी मीडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की ओर से इसी हफ्ते रिज़र्व बैंक के सामने अपना एतराज़ जताया गया है.


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अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का मानना है कि रिजर्व बैंक ने किसी एक कंपनी और किसी एक ग्रुप को लोन बांटने की जो सीमा तय की है वो ठीक नहीं है. क्योंकि लोन बांटने की सीमा लग जाने पर वो अपने ग्राहकों को कम लोन बांट पाएंगे. जिससे ये संभव है कि ग्राहक उनके बैंक के साथ कामकाज नहीं करें.


पूंजी के 10 फीसदी से अधिक लोन नहीं
रिजर्व बैंक के ड्राफ्ट सर्कुलर के मुताबिक, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक किसी एक कंपनी को अपनी पूंजी के 10 फीसदी से अधिक लोन नहीं देंगे. अभी इसकी सीमा 25 फीसदी है जबकि ग्रुप के लिए एक्सपोज़र मौजूदा 40 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी पर लाने का सुझाव है. RBI के इस प्रस्ताव पर भी एतराज़ है कि लोन बुक का 50 फीसदी हिस्सा 25 लाख रु तक के ही लोन वाला हो.


इसलिए नियम का भी विरोध
इस पर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की दलील है कि हर बैंक का साइज़ अलग-अलग है. ऐसे में सभी के लिए 25 लाख रुपए की सीमा तय करना उचित नहीं होगा. ये भी दलील है कि जब सरकार SME और दूसरे छोटे उद्योगों को ज्यादा लोन देने की वकालत कर रही है. ऐसे में 25 लाख रुपए की सीमा तय करने का औचित्य क्या है. बैंकों के नेट एडजस्टेड क्रेडिट का 75% हिस्सा एग्रीकल्चर, SME, एजुकेशन लोन जैसे प्रियॉरिटी सेक्टर के लिए तय करने के नियम का भी विरोध किया जा रहा है.


30 दिसंबर जारी किया नियम
अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का कहना है कि इसे पहले 50% पर लाया जाए और फिर इसकी सीमा आगे बढ़ाई जाए. अभी ये सीमा 40 फीसदी है. रिजर्व बैंक ने इसे मार्च 2021 तक 50 फीसदी, मार्च 2022 तक इसे 60 फीसदी और मार्च 2023 तक इसे 75 फीसदी करने का सुझाव दिया है. रिजर्व बैंक ने 30 दिसंबर को इससे जुड़ा नियम जारी किया था. 100 करोड़ रुपए से अधिक डिपॉजिट वाले बैंकों के लिए बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर स्ट्रक्चर लागू करने पर भी एतराज़ है.


नियमों को लेकर सख्त
दरअसल, रिजर्व बैंक ने PMC बैंक घोटाले के बाद अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए नियमों को सख्त करना शुरू किया है. रिजर्व बैंक ने एक्सपोज़र लिमिट इसलिए सुझाया है ताकि बैंक किसी एक कंपनी या ग्रुप को इतना ज्यादा लोन न बांट दें ताकि खुद ही मुश्किल में फंस जाएं. जबकि आधा लोन 25 लाख रुपये तक वाले रखने को कहा गया है ताकि जोखिम बंटा रहे और बैंक पर आंच नहीं आए. प्राथमिकता वाले की मात्रा भी बढ़ाई गई है ताकि फाइनेंशियल इन्क्लूज़न में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का रोल बढ़े. जबकि दो तरह का स्ट्रक्चर लागू करने के पीछे रिज़र्व बैंक की मंशा है कि बेहतर गवर्नेंस रहे. वाई एच मालेगांव समिति की ओर से भी इसकी सिफारिश की गई थी.


नियमों में रियायत देना चाहिए
अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के संगठन NAFCUB का कहना है कि रिजर्व बैंक को नियमों में रियायत देना चाहिए, ताकि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों अपना कामकाज चालू रख पाएं. रिजर्व बैंक की दलील है कि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के रेगुलेशन को लेकर दिक्कतें हैं, क्योंकि रिजर्व बैंक लाइसेंस और रेगुलेशन का काम करता है. लेकिन बोर्ड को बदलने का अधिकार नहीं है. माना जा रहा है कि आने वाले बजट सत्र में सरकार संसद में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के रेगुलेशन को लेकर रिजर्व बैंक का अधिकार बढ़ाएगी.