RBI Repo Rate: शक्‍त‍िकांत दास के 10 द‍िसंबर को आरबीआई (RBI) गवर्नर पद से र‍िटायर होने के बाद संजय मल्होत्रा 11 द‍िसंबर को 26वें गवर्नर के रूप में ज‍िम्‍मेदारी संभाल रहे हैं. आरबीआई की तरफ से प‍िछले करीब दो साल से रेपो रेट को 6.5 प्रत‍िशत के स्‍तर पर बरकरार रखा गया है. इसमें कटौती को लेकर प‍िछले काफी समय से मांग की जा रही है. व‍ित्‍त वर्ष की दूसरी त‍िमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में बड़ी ग‍िरावट आने के बाद ब्‍याज दर में कटौती की मांग तेज हो गई है. द‍िसंबर के पहले हफ्ते में शक्‍त‍िकांत दास ने अपने कार्यकाल की आख‍िरी एमपीसी (MPC) में ह‍िस्‍सा ल‍िया था.


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अगली एमपीसी में ब्‍याज दर में कटौती की संभावना


संजय मल्होत्रा ​​की (RBI) के नए गवर्नर के रूप में नियुक्ति ने फरवरी में अगली मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) के दौरान ब्याज दर में कटौती की संभावना को मजबूत किया है. जानकारों की तरफ से यह अनुमान जताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निवर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास ब्‍याज दर को लेकर ‘अपने रुख पर अड़े रहे’, जैसा कि 6 दिसंबर की मीट‍िंग में देखा गया. जानकारों ने कहा क‍ि उनकी अध्यक्षता में दर निर्धारण समिति ने दरों को पुराने स्‍तर पर ही बरकरार रखा.


जीडीपी को बढ़ावा देने के लिए हो सकती है कटौती
जापानी ब्रोकरेज नोमुरा के एनाल‍िस्‍ट ने कहा क‍ि मल्होत्रा एक नौकरशाह भी हैं और यह उम्मीद की जा रही है क‍ि उनकी अगुवाई में मौद्रिक नीति पहले से ज्‍यादा उदार होगी. ब्रोकरेज घराने ने यह भी कहा कि फरवरी की एमपीसी में दरों में कटौती होने की संभावना है. नोमुरा ने कहा कि जीडीपी को बढ़ावा देने के लिए अगली बैठक में दरों में कटौती उचित है. ब्रोकरेज ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में ब्याज दरों में कटौती के मामले पर सरकार और आरबीआई के बीच एक स्पष्ट विभाजन उभरता हुआ दिखाई दे रहा है.


एमपीसी नीति सख्त रखने के लिए आरबीआई की आलोचना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, दोनों ने एमपीसी नीति को सख्त रखने के लिए आरबीआई (RBI) की आलोचना की है. घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमके ने कहा कि वह फरवरी में दरों में कटौती की संभावना से इनकार नहीं करती है. इसमें कहा गया कि मल्होत्रा ​​को नियुक्त करने का फैसला अंतिम समय में लिया गया और यह दर्शाता है कि सरकार आरबीआई के शीर्ष पर एक टेक्नोक्रेट के बजाय एक नौकरशाह को रखने में सहज है.


ब्रोकरेज यूबीएस के विश्लेषकों ने कहा कि वित्त मंत्रालय से नए गवर्नर के आने से बाजार सहभागी यह सोच सकते हैं कि मौद्रिक नीति निर्णयों में सरकार की भूमिका और मजबूत हो सकती है. उन्होंने कहा कि मल्होत्रा ​​को वृद्धि जोखिम और मुद्रास्फीति में हाल में हुई वृद्धि को संतुलित करना होगा. (भाषा)