Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेन में बुक की विंडो सीट.. मिली कॉरिडोर वाली, पोस्ट पढ़ते ही रेलवे ने लिया ये एक्शन
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Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेन में बुक की विंडो सीट.. मिली कॉरिडोर वाली, पोस्ट पढ़ते ही रेलवे ने लिया ये एक्शन

Vande Bharat train: वंदे भारत ट्रेन में एक यात्री ने बुकिंग के दौरान विंडो सीट चुनी, लेकिन जब वह ट्रेन में पहुंचा तो सीट कॉरिडोर वाली निकली. यह मामला तब सामने आया जब यात्री अभिजीत आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर शिकायत की.

Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेन में बुक की विंडो सीट.. मिली कॉरिडोर वाली, पोस्ट पढ़ते ही रेलवे ने लिया ये एक्शन

Vande Bharat train: वंदे भारत ट्रेन में एक यात्री ने बुकिंग के दौरान विंडो सीट चुनी, लेकिन जब वह ट्रेन में पहुंचा तो सीट कॉरिडोर वाली निकली. यह मामला तब सामने आया जब यात्री अभिजीत आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर शिकायत की. उसने अपने टिकट और सीट की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें स्पष्ट रूप से विंडो सीट बुक होने का उल्लेख था. हालांकि, वास्तविकता में वह सीट कॉरिडोर की निकली.

अभिजीत आनंद का पोस्ट

अभिजीत आनंद ने अपनी पोस्ट में लिखा, "सी8 कोच में सीट नंबर 33 और 34 के लिए खिड़की और कॉरिडोर सीट व्यवस्था की जांच करने की जरूरत है. मुझे मेरी सीट से कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह भविष्य के यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बन सकती है."

रेलवे ने तुरंत लिया एक्शन

यात्री की शिकायत पर भारतीय रेलवे ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. रेलवे सेवा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारी को जानकारी दे दी गई है. कृपया अपना मोबाइल नंबर डीएम के जरिए साझा करें. आप अपनी शिकायत सीधे http://railmadad.indianrailways.gov.in पर भी दर्ज कर सकते हैं या 139 पर कॉल कर सकते हैं."

40 मिनट में हल हुई समस्या

अभिजीत आनंद ने रेलवे की त्वरित कार्रवाई की सराहना की. उन्होंने लिखा, "आपकी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. दो लोग आए और सीट की गलत व्यवस्था को ठीक किया. यह सराहनीय है कि भारतीय रेलवे ने 40 मिनट के भीतर समस्या को चिह्नित कर हल कर दिया."

वंदे भारत ट्रेन की आधुनिक सुविधाएं

वंदे भारत एक्सप्रेस भारत में निर्मित एक सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसमें पूरी तरह एयर-कंडीशन कोच, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, आरामदायक सीटें, और ऑटोमैटिक दरवाजे शामिल हैं. 180 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन की गई यह ट्रेन प्रमुख शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी हद तक कम करती है.

भविष्य में बेहतर व्यवस्था की उम्मीद

यह घटना न केवल भारतीय रेलवे की त्वरित प्रतिक्रिया को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि यात्री सेवाओं में सुधार की दिशा में रेलवे कितनी तत्परता से काम कर रहा है. इस तरह की समस्याओं को हल करने के लिए रेलवे का सक्रिय रवैया यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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