नई दिल्ली: Sri Lanka Economy Crisis: पड़ोसी देश श्रीलंका पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आजादी के बाद श्रीलंका इस समय सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. इस कठिन दौर में श्रीलंका ने बड़ा फैसला लेते हुए खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. श्रीलंका ने यह घोषणा की है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बकाया 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को चुकाने में असमर्थ है. 


वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी 


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गौरतलब है कि महज एक साल के भीतर ही श्रीलंका पर कुल 1600 का कर्ज बढ़ा गया है. अप्रैल 2021 में श्रीलंका पर कुल कर्ज 3500 करोड़ डॉलर का था, जो इस साल अप्रैल में बढ़कर 5100 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है. इस हालात पर श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने यह ऐलान किया है कि दक्षिण एशियाई राष्ट्र को कर्ज देने वाली विदेशी सरकारों सहित लेनदार मंगलवार दोपहर से अपने किसी भी ब्याज भुगतान को भुनाने या श्रीलंकाई रुपये में भुगतान का विकल्प चुन सकते. 


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किसका कितना कर्ज?


अब बात करते हैं कि श्रीलंका के ऊपर किसका कितना कर्ज है? श्रीलंका पर 15 फीसदी कर्ज चीन का है, इसके अलावा 47 फीसदी कर्ज बाजार से लिया गया है. श्रीलंका पर एशियन डेवलेपमेंट बैंक से 13 फीसद, वर्ल्ड बैंक से 10 फीसद, जापान से 10 फीसद और पड़ोसी देश भारत से 2 फीसद के अलावा अन्य जगहों से 3 फीसदी कर्ज है. श्रीलंका की सरकार ने पहले कर्ज लिया और अब चुकाने के समय उसके खजां में कुछ भी नहीं बचा है. यहां की जनता सड़क पर है और ऐसे समय में विपक्ष उसके साथ खड़ा है. ऐसे में सत्ता पक्ष की हालत खराब हो गई है. 


आजादी के बाद सबसे बुरे दौर में श्रीलंका


श्रीलंका में आर्थिक विकास की रफ्तार महज 2 साल पहले भारत से कही ज्यादा थी. साल 2020 में श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय बाजार विनिमय दर के हिसाब से 4053 डालर वार्षिक और क्रयशक्ति समता के आधार पर 13,537 डालर वार्षिक थी, यानी उस समय भारत से कहीं ज्यादा. मानव विकास रिपोर्ट के आधार पर भी 2020 में श्रीलंका की स्थिति भारत से बेहतर थी. संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास रिपोर्ट 2020 में जहां श्रीलंका 72वें स्थान पर था, जबकि भारत का स्थान 131वां ही था. लेकिन इसके बाद व्यक्त बदलता गया और श्रीलंका धीरे-धीरे श्रीलंका चीन के कर्ज के दलदल में फंसता गया और आज देवलिया हो गया. 


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