Startup Idea: अपना जीवनयापन करने के लिए लोगों को पैसों की जरूरत होती है. वहीं नौकरी करके कमाई की जा सकती है. वहीं कुछ लोग खुद का कारोबार भी सेटअप कर लेते हैं. आज के दौर में कई लोग अपना खुद का कारोबार भी शुरू कर रहे हैं. आजकल नए कारोबार को स्टार्टअप (Startup) के तौर पर भी बुलाया जाता है. हालांकि स्टार्टअप से जुड़े कुछ शब्द ऐसे हैं, जो आम लोगों को समझ नहीं आते हैं. ऐसे शब्दों का मतलब लोगों को आसानी से समझ नहीं आता है. वहीं आज हम उन्हीं शब्दों के बारे में बताने वाले हैं.


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बिजनेस प्लान-बिजनेस मॉडल


स्टार्टअप में कई बार बिजनेस प्लान (Business Plan) और बिजनेस मॉडल (Business Model) जैसे दो शब्दों का काफी इस्तेमाल किया जाता है. इनमें बिजनेस मॉडल से मतलब होता है कि आप पैसा कैसे और क्यों कमाओगे? वहीं बिजनेस प्लान बताता है कि पैसा कब और कितना कमाओगे. इसके अलावा कितना खर्च होगा और कितनी टीम चाहिए, ये सब भी बिजनेस प्लान में आता है.


Bootstrapping


इसके अलावा कई ऐसे टर्म भी हैं जो कि फंडिंग से जुड़े हैं. इनमें Bootstrapping टर्म भी शामिल है. इसका मतलब है कि आपने बिजनेस में जितना भी पैसा लगाया है वो खुद का पैसा लगाया है और किसी भी इंवेस्टर का पैसा आपने नहीं लगाया है. इसके अलावा Incubators और Accelerators का भी इस्तेमाल किया जाता है.


Incubators और Accelerators


Incubators और Accelerators कुछ संगठन होते हैं जो फिजिकल स्पेस भी चलाते हैं या फिर वर्चुअली स्टार्टअप को सपोर्ट करते हैं. इनमें फंडिंग, ऑफिस स्पेस, कनेक्शन, इंडस्ट्रीअल कनेक्ट, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट आदि शामिल है. इसके अलावा Angel Round और Seed Round भी होते हैं. यह किसी स्टार्टअप को मिलने वाला वो पहला अमाउंट होता है, जिसमें कुछ हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI's) और वेंचर कैपिटलिस्ट (VC's) होते हैं. इसके अलावा फैमिली और दोस्त भी शामिल होते हैं.


क्राउडफंडिंग


वहीं इसमें सीरीज A, सीरीज B, सीरीज C और इसी तरह से बड़े टिकट साइज के अमाउंट होते हैं. जो आमतौर पर वेंचर कैपिटल फंड या प्राइवेट इक्विटी फंड लगाते हैं. इसके अलावा क्राउडफंडिंग से भी पैसा उठाया जाता है. क्राउडफंडिंग के जरिए लोगों से प्रोडक्ट बनने से पहले ही फंड इकट्ठा किया जा सकता है.


वैलुएशन


वहीं वैलुएशन (Valuation) शब्द का भी काफी प्रयोग किया जाता है. किसी स्टार्टअप की वैलुएशन स्टार्टअप फाउंडर और उसके इंवेस्टर्स के जरिए आपस में डिसाइड किया जाता है. जब भी वैलुएशन किया जाता है तो प्री-मनी वैल्युएशन और पोस्ट-मनी वैल्युएशन का भी ध्यान रखा जाता है.


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