IT Sector: केंद्रीय दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि देश का पहला इलेक्ट्रॉनिक चिप विनिर्माण संयंत्र सालभर में शुरू होने की उम्मीद है. सरकार ने शुरुआत में देश में वेफर फैब्रिकेशन संयंत्र सहित सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए 10 अरब डॉलर की प्रोत्साहन कोष निर्धारित किया है. वेफर फैब्रिकेशन संयंत्र भौतिक चिप्स का पहला बिल्डिंग ब्लॉक है, जिसका उपयोग सभी हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में किया जाता है.


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सेमीकंडक्टर्स


वैष्णव ने कहा, “हम कुछ विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां हम वैश्विक नेतृत्व कर सकते हैं. हम दूरसंचार और ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) सेमीकंडक्टर्स के लिए एक बड़े खंड के रूप में उभरे हैं. यदि हम इन खंडों में उपयोग होने वाले चिप्स के विकास और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करें तो हम इनमें वैश्विक अगुआ बन सकते हैं.” उन्होंने कहा कि इन उभरते क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए काम किया जा रहा है. वैष्णव ने कहा, “हमें आगामी कुछ महीनों में बड़ी सफलता मिलनी चाहिए. यह फैब (वेफर फैब्रिकेशन), डिजायन, विनिर्माण का पूर्ण (पारिस्थितिकी तंत्र) होगा.”


भारत में निवेश 


यह पूछने पर कि क्या यह एक साल में होगा, मंत्री ने कहा, “नहीं, हम जल्द ही सफलता देखेंगे.” उन्होंने कहा कि अमेरिका की स्टोरेज चिप विनिर्माता माइक्रोन के भारत में निवेश की सफलता के साथ पूरी दुनिया भारत की क्षमता को लेकर बहुत आश्वस्त हो गई है. मेमोरी चिप निर्माता माइक्रोन ने गुजरात का साणंद में सेमीकंडक्टर असेंबली संयंत्र का निर्माण पिछले महीने शुरू किया है. कंपनी ने जून में 2.75 अरब डॉलर (लगभग 22,540 करोड़ रुपये) से गुजरात में सेमीकंडक्टर असेम्बली और परीक्षण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की थी.


केंद्र और राज्य सरकार का निवेश


माइक्रोन दो चरणों में संयंत्र स्थापित करने में 82.5 करोड़ डॉलर तक का निवेश करेगी और बाकी निवेश केंद्र और राज्य सरकार से आएगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि माइक्रोन के कलपुर्जा आपूर्तिकर्ता भी राज्य सरकार के साथ मिलकर भूमि चिह्नित करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं. वैष्णव ने कहा, “मुझे मिली जानकारी के अनुसार, पांच कंपनियां (माइक्रोन की साझेदार) आ चुकी हैं. भूमि पहचान प्रक्रिया जारी है. उनके (माइक्रोन के) सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारों में से एक पहले से ही भूमि आवंटन प्रक्रिया में है.”


रिस्क-वी’ कार्यक्रम


सरकार ने डिजिटल इंडिया ‘रिस्क-वी’ कार्यक्रम के तहत 2023-24 तक पहले स्वदेशी चिपसेट को व्यावसायिक रूप से पेश करने की समयसीमा पहले ही तय कर दी है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडीएसी) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के माइक्रोप्रोसेसर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तत्वावधान में ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके क्रमशः शक्ति (32-बिट) और वेगा (64-बिट) नामक दो माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए हैं. वैष्णव ने कहा कि सरकार चार-पांच घटक बनाने पर काम कर रही है, जहां भारत न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बल्कि दुनियाभर में निर्यात करने के लिए एक वैश्विक केंद्र बन सकता है. (इनपुट: भाषा)