Inflation Rate in India: जल्द नहीं मिलेगी महंगाई से राहत, RBI के टॉलरेंस बैंड के शीर्ष पर पहुंच चुकी है मुद्रास्फीति दर
Inflation rate in India: रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति की संभावित दर (Inflation Rate) मार्च 2022 में 16 महीने के अपने उच्च स्तर 6.35% तक पहुंच गई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी महंगाई और बढ़ सकती है.
आरती राय/नई दिल्ली: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति की संभावित दर (Inflation Rate) मार्च 2022 में 16 महीने के अपने उच्च स्तर 6.35% तक पहुंच गई, ऐसा रॉयटर्स द्वारा जारी पोल रिपोर्ट का कहना है. इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के upper tolerance band की सबसे उच्चतम लेयर है और महंगाई लगातार तीन महीने से बढ़ती खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हो रही है. माना जा रहा है कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद कच्चे तेल की कीमतों के भारी बढ़ोतरी की वजह से अप्रैल तक उपभोक्ता कीमतों में गिरावट या राहत की उम्मीद नहीं है.
नवंबर 2020 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई
रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार, 48 अर्थशास्त्रियों के 4-8 अप्रैल के रॉयटर्स पोल ने मुद्रास्फीति का सुझाव दिया जो consumer price index (CPI) के मुताबिक मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.35%, फरवरी में 6.07% से बढ़कर 6.35% हो गयी है. जो नवंबर 2020 के बाद अब तक की सबसे ज्यादा रीडिंग होगी.
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RBI के टॉलरेंस बैंड के शीर्ष छोर पर है महंगाई
इस रिपोर्ट में ये भी पूर्वानुमान लगाया गया कि आने वाले 12 अप्रैल को RBI जो डेटा जारी करेगा, वो 6.06% और 6.50% के बीच हो सकता है. जो कि RBI के टॉलरेंस बैंड के शीर्ष छोर पर है. एएनजेड के एक अर्थशास्त्री धीरज निम ने मासिक परिवर्तनों में मौसमी पैटर्न का जिक्र करते हुए कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि हेडलाइन मुद्रास्फीति 6.30% y/y तक तेज हो जाएगी, क्योंकि खाद्य कीमतों में क्रमिक रूप से फरवरी तक तीन महीने की गिरावट के बाद उच्च वृद्धि हुई है.'
महंगाई दर में अभी हो सकती है और बढ़त
रिपोर्ट के मुताबिक कई अर्थशास्त्रियों का ये भी मानना है कि मार्च में मुद्रास्फीति की दर और भी ज्यादा हो सकती है, जिसके लिए RBI डेटा 12 अप्रैल को जारी करेगा. एक्सपर्ट्स की माने तो मुद्रास्फीति की दर 6.5 प्रतिशत तक अनुमान के मुताबिक बढ़ सकती है, जो लगातार तीसरे महीने बढ़त के साथ दर्ज होगी. अगर ऐसा रहा तो आरबीआई की महंगाई दर लिमिट की टॉलरेंस लेयर के 2-6 के ऊपर पहुंच सकती है, जो आने वाले समय के लिए एक चेतावनी है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का पड़ा प्रभाव
लगातार बढ़ती खाद्य कीमतें इस बार भी ऐसे ही बढ़ती रहेंगी. क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित आपूर्ति की सीरीज में ग्लोबल अनाज सप्लाई, खाद्य तेलों की आपूर्ति और उर्वरक निर्यात पर भारी असर डाल रही है. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले वनस्पति तेल, पाम तेल की कीमतों में इस साल लगभग 50% की वृद्धि हुई है. लगातार रोजमर्रा की खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और आम जनता की थाली की बढ़ती कीमत तेजी से महसूस की जा रही है.
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खाद्य तेलों की कीमतों में भी होगी बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार भारत के एक और अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने इस बात का अनुमान लगाया है कि global commodity price में वृद्धि की वजह से मार्च मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ खाद्य तेलों में भी होगी. चक्रवर्ती ने ये कहा, 'हालांकि राज्य के चुनावों के बाद पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी की शुरुआत में देरी हुई थी, फिर भी खुदरा कीमतों में मार्च के आखिरी 10 दिनों में 6.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है.'