Donald Trump America First: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ भारतीय निर्यातकों और आईटी कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर नया प्रशासन ‘अमेरिका प्रथम’ एजेंडा को आगे बढ़ाता है, तो भारतीय निर्यातकों को ऊंचे सीमा शुल्क और सख्त वीजा नियमों का सामना करना पड़ सकता है. जिसका सीधा असर भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर पड़ सकता है.


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भारतीय निर्यातकों के लिए नई चुनौतियां


ट्रंप की जीत के साथ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वाहन, कपड़ा, और फार्मा जैसे भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में ऊंचे सीमा शुल्क लग सकते हैं. अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों के संदर्भ में यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए नई चुनौतियां लेकर आ सकता है. भारतीय बाजार अमेरिका के लिए प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच लगभग 190 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है.


ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को और सख्त कर सकते हैं


एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा है कि ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को और सख्त कर सकते हैं. जो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती होगी. भारत के आईटी निर्यात का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से आता है. जिससे यह क्षेत्र अमेरिकी वीजा नीतियों में बदलाव के प्रति संवेदनशील हो जाता है. ऐसे बदलावों से आईटी कंपनियों की लागत और विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.


ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापारिक नीतियां ला सकता है


ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापारिक नीतियां ला सकता है. उन्होंने पहले भी भारत को 'टैरिफ किंग' और 'बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता' कहा था. इन टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि ट्रंप का प्रशासन चीन के साथ-साथ भारत पर भी शुल्क बढ़ाने की नीति अपना सकता है.


वाहन-शराब-कपड़ा-फार्मा जैसे क्षेत्रों पर पड़ सकता है असर


विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के 'अमेरिका प्रथम' एजेंडा के चलते भारतीय वस्तुओं पर पारस्परिक शुल्क लग सकते हैं. जो भारतीय उत्पादों को अमेरिका में कम प्रतिस्पर्धी बना सकता है. इससे भारतीय निर्यातकों के राजस्व पर असर पड़ सकता है, खासकर वाहन, शराब, कपड़ा, और फार्मा जैसे क्षेत्रों में.


अमेरिका का चीन के प्रति सख्त रुख


हालांकि, अमेरिका के चीन के प्रति सख्त रुख के चलते भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर भी पैदा हो सकते हैं. भारत और अमेरिका के बीच 2023-24 में 120 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. जो यह संकेत देता है कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में और बढ़ोतरी हो सकती है.


इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र हो सकते हैं प्रभावित


अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर का मानना है कि ट्रंप के सत्ता में आने से संरक्षणवाद का नया दौर शुरू हो सकता है. उनका मानना है कि यह नीतियां इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा, ट्रंप ने पहले टीपीपी (ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप) से बाहर निकलकर संकेत दिया था कि वे संरक्षणवादी नीतियां अपना सकते हैं. जिससे आईपीईएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों पर असर पड़ सकता है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)