नई दिल्ली: जिस व्यक्ति ने 1925 में रेमंड जैसे ब्रांड की स्थापना की थी और उसे करोड़ों रुपए का ब्रांड बनाया, आज वही अपनी भूल के कारण पछता रहा है. एक छोटे से ग्रुप से एक बड़े ब्रांड तक कंपनी को ले जाने वाले विजयपत सिंघानिया मानते हैं कि उनके बेटे के हाथ में कारोबार सौंपना उनकी सबसे बड़ी मूर्खता थी. अब विजयपत सिंघानिया अपने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के लिए कोर्ट जाएंगे. 


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काफी समय से चल रहा झगड़ा
रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा है. हाल ही में विजयपत सिंघानिया ने कहा कि उन्होंने 3 साल पहले रेमंड ग्रुप अपने बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दिया था, जो उनका सबसे खराब फैसला था. आज उन्हें अपने फैसले पर पछताना पड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने जिस बेटे को अपना पूरा कारोबार दिया उसी बेटे ने उन्हें अपने घर से निकाल दिया. 


साल 2015 में बेटे को दिया कारोबार
साल 2015 में विजयपत ने रेमंड ग्रुप के 50% से ज्यादा शेयर अपने 37 वर्षीय बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए. साल 2007 में हुए समझौते के मुताबिक विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल स्थित 36 महल के जेके हाउस में एक अपार्टमेंट मिलना था. इसकी कीमत बाजार मूल्य के मुकाबले बहुत कम रखी गई. बाद इसी संपत्ति की बिक्री को लेकर बाप-बेटे में विवाद बढ़ा.


बेटे के खिलाफ केस लड़ेंगे विजयपत
अब विजयपत कोर्ट में अपने बेटे के खिलाफ केस लड़ेंगे और 2007 के कानून के तहत अपने बच्चों को उपहार में दी गई संपत्ति को वापस लेने की मांग करेंगे. वहीं अपने पिता के आरोपों पर गौतम सिंघानिया कहना है कि वो इस मामले में अपने दायित्वों का पालन कर रहे हैं.