Unlimited Currency: ज्यादा नोट छापकर RBI क्यों नहीं बना सकता सबको करोड़पति? हैरान कर देगी वजह
Knowledge News: अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि जब सरकार के कहने पर नोट छापने हैं तो RBI ढेर सारे नोट छापकर लोगों की गरीबी क्यों नहीं हटा देता? ये सोच गलत है, क्योंकि जिस किसी देश ने भी ऐसा किया उसका भट्ठा बैठ गया.
Business news in hindi: नोट छापने की मशीन मिल जाए तो आप क्या करेंगे? इसका जवाब देने में आप जरा देर नहीं करेंगे और कहेंगे- बेहिसाब नोट छापेंगे और क्या! मगर मामला इतना आसान नहीं है जितना ख्याली पुलाव पकाने में लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिनके पास नोट छापने की मशीन है वो भी मर्जी ने नोट नहीं छाप सकते हैं.
क्यों नहीं छापता RBI अनगिनत नोट?
महंगाई बढ़ जाएगी- अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोई भी देश अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के लिए नियम हैं. अगर ढेर सारे नोट छपने लगें तो अचानक हर किसी के पास ज्यादा पैसा आ जाएगा. ऐसे में लोगों की जरूरतें बढ़ जाएंगी, लेकिन सप्लाई सामान्य यानी उतनी ही रहेगी. ऐसा होने से बाजार में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी.
करेंसी वैल्यू गिर जाएगी- दुनिया के जिन देशों की सरकारों ने ऐसा किया उनके नागरिक आजतक रो रहे हैं. ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं. जिम्बाब्वे ने एक समय बहुत सारे नोट छापकर ऐसी गलती की थी. इससे वहां की करेंसी की वैल्यू इतनी गिर गई कि लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी थैले भर-भरकर नोट दुकान पर ले जाने पड़ते थे. यही हाल दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला का हुआ. वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छाप डाले. इससे महंगाई हर 24 घंटे में बढ़ने लगी और खाने-पीने की चीजों के दाम रोजाना डबल हो जाते थे.
GDP पर बुरा असर पड़ेगा- ज़्यादा कैश फ्लो का असर देश की जीडीपी (GDP) पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नोट छापने के लिए RBI को विदेशी मुद्रा और सोना रिज़र्व रखना पड़ता है. ज़्यादा नोट छापने के कारण विदेशी मुद्रा कम होगी जो भारत के विकास की रफ्तार को धीमा बताएगी जिससे जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा.
अर्थव्यवस्था में संकट आ सकती है- RBI मिनिमम रिजर्व सिस्टम (Minimum Reserve System) के आधार पर नोट छापता है जिसमें RBI को नोट छापने के लिए न्यूनतम 200 करोड़ की राशि रिजर्व करनी पड़ती है. यह राशि सोना व विदेशी मुद्रा के रूप में होती है. ज्यादा नोट छापने में खर्च (Currency Printing cost) भी ज्यादा होता है. अगर ये न्यूनतम राशि नियंत्रित न हो तो अर्थव्यवस्था पर संकट आ सकता है.
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