Pakistan Economic Crisis: भारत के पड़ोसी मुल्क में विचित्र स्थिति बन गई है. पाकिस्तान की तंगहाल इकोनॉमी, बेलगाम महंगाई ऐसी स्थिति में पहुंच गई है कि सरकार को अब अपनी कंपनियां बेचनी पड़ रही है. आर्थिक संकट के साथ-साथ IMF की कड़ी शर्तों से जूझ रहे पाकिस्तान ने सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है.  सरकार ने आईएमएफ की एडवांस टीम के पाकिस्तान दौरे के बाद ये फैसला लिया है.  सरकार चरणबंद्ध तरीके से सरकारी कंपनियों के निजीकरण करेगी.  


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सरकारी कंपनियों को बेचेगा पाकिस्तान 


पाकिस्तान के पीएम ने अपना फैसला बदलते हुए अब देश की सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया. जबकि इससे पहले सरकार केवल उन कंपनियों को बेचने की प्लानिंग कर रही थी, जो घाटे में चल रही थी. अब सरकार ने अपना फैसला बदलते हुए सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. फिर चाहे वो मुनाफे में हो या घाटे में. सरकार केवल उन कंपनियों को अपने पास रखेगी, जो राजनीतिक तौर पर जरूरी है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के पास 88 सरकारी कंपनियां हैं.  


 बिकेगा पाकिस्तान का एयरपोर्ट   
सबसे पहले पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन कंपनी लिमिटेड को निजी कंपनियों के हाथों बेचा जाएगा. पाकिस्तान एयरपोर्ट का निजीकरण किया जाएगा. इलके लिए बोली लगेगी और फिर कंपनी को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा. निजी कंपनियों के बेचने के प्रोग्राम को 'प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम 2024-2029' नाम दिया गया है.  एयरपोर्ट के बाद बिजली कंपनियों का नंबर है.  


पहले भी बिक चुके हैं पाकिस्तान की सरकारी कंपनियां


हालांकि ये पहली बार नहीं हो रहा है. कर्ज में डूबी पाकिस्तान सरकार अपने बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स तक पर बेच चुकी है. पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद एयरपोर्ट को ठेके पर देने का फैसला किया. सरकार देश के सबसे अपने सबसे बड़े बंदरगाह कराची पोर्ट को भी बेच चुकी है. पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने और आईएमएफ के दबाव में सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला कर रहा है. पाकिस्तान की आर्थिक सेहत की बात करें तो इसकी इकोनॉमी आईसीयू में पहुंच चुकी है.  अप्रैल 2024 में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 1.20 लाख करोड़ है. पाकिस्तान महंगाई दर अप्रैल में 17.3 फीसदी गिरने के बावजूद 38% तक पहुंच गई थी. पाकिस्तान पर कर्ज बढ़कर साल 2023 में ये 124.6 बिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है.