RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि देश में दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती अब बीते दिनों की बात है. त्योहारों के दौरान खर्च से निजी खपत मांग को गति दे रही है. वहीं, घरेलू वित्तीय बाजारों में भी सुधार हो रहा है क्योंकि अमेरिकी डॉलर की निरंतर मजबूती और लगातार पोर्टफोलियो आउटफ्लो के कारण इक्विटी पर दबाव है. हालांकि, देश में महंगाई को लेकर केंद्रीय बैंक ने चिंता जताई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बुधवार को RBI की ओर से जारी बुलेटिन State of the Economy में यह भी कहा गया है कि चुनौतियों और बढ़ते संरक्षणवाद के बीच 2024 की चौथी तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो कुछ सुस्ती देखी गयी थी, वह अब पीछे छूट गई है. इसका कारण यह है कि निजी खपत घरेलू मांग को गति दे रही है और त्योहारों के दौरान खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधियों को बढ़ाया है.


मजबूती दिखा रही अर्थव्यवस्था


RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम के लिखे इस लेख में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है. इसका कारण त्योहार से जुड़ी खपत और कृषि क्षेत्र में सुधार है. खरीफ फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान के साथ-साथ रबी फसल को लेकर बेहतर संभावनाएं आने वाले समय में कृषि आय और ग्रामीण मांग के लिए अच्छा संकेत हैं. 


देश में बढ़ती महंगाई को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है, "महंगाई में बढ़ोतरी के साथ-साथ खाद्य कीमतों में तेज गति से उछाल से बीते महीने महंगाई RBI के लक्ष्य से ऊपर पहुंच गई. इससे बाजार की अपेक्षाओं, खासकर मिडियम टर्म ओवरनाइट इंडेक्स पर खासा असर पड़ता है." यानी अगर महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया तो यह देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकती है.


लेख में कहा गया, "औद्योगिक मोर्चे पर, विनिर्माण और निर्माण में गतिशीलता बरकरार रहने की उम्मीद है. ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) अपनाने, अनुकूल नीतियां, सब्सिडी और बढ़ता बुनियादी ढांचा भारत को टिकाऊ परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी बना रहा है. साथ ही उभरते स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रहा है."


वित्तीय स्थितियां अनुकूल रहने की संभावना


रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सेवा क्षेत्र में विकास की गति के साथ मजबूत रोजगार सृजन और उच्च उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा बने रखने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से बॉन्ड और शेयर बाजारों पर दबाव के बावजूद, वित्तीय स्थितियां अनुकूल रहने की संभावना है. 


इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निजी निवेश कमजोर बना हुआ है. कॉरपोरेट आय में कमी के कारण जुलाई-सितंबर, 2024 के दौरान तिमाही आधार पर कम निवेश से यह पता चलता है.