PM Modi Singapore Visit: पीएम मोदी सिंगापुर के दौरे पर हैं. यहां सिंगापुर के पीएम ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. उसके बाद दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई. वहीं पीएम मोदी ने सिंगापुर पीएम लॉरेंस वोंग के साथ सेमीकंक्टर फैक्ट्री का दौरा किया.  दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर की मैन्यूफैक्चरिंग और डिजाइनिंग को लेकर समझौते हुए.  पीएम मोदी भारत तो सेमीकंडक्टर का हब बनाना चाहते हैं. इसके लिए सरकार की ओर से कई कोशिशें हो रही हैं.


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सिंगापुर दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी ने सेमीकंडक्टर फैक्ट्री जाकर वहां की तकनीक, तौर-तरीके आदि को समझा. सिंगापुर की AEM Holdings सेमीकंडक्टर फैक्ट्री  में पहुंचे पीएम मोदी को प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने फैक्ट्री और सेमीकंडक्टर के बारे में डिटेल से बताया. अब समझते हैं कि ये सेमीकंडक्टर इतना खास क्यों है ?   यूं ही सिंगापुर नहीं पहुंचे पीएम मोदी, भारत के लिए बहुत खास है ये देश, चाहे तो 'ड्रैगन' की गर्दन मरोड़ सकते हैं दोनों दोस्त !


 


क्यों इतना खास है ये सेमीकंडक्टर 


छोटी सी इस चिप के पीछे दुनिया के बड़े-बड़े देश पड़े हैं. ये छोटा सा चिप भविष्य का ऑयल है, जिसपर दूरी दुनिया का इलेक्ट्रॉनिक मार्केट टिका है.  अगर ये कहें कि ये छोटा सा चिप इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल है तो गलत नहीं होगा. स्मार्टफोन्स, कार, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डेवाइसेज,  अप्लायंसेज, फार्मास्यूटिकल डिवाइस, एग्रीकल्चर डिवाइस, यहां तक की एटीएम जैसे जरूरी प्रोडक्ट्स बिना सेमीकंडक्टर के संभव नहीं है. 


क्यों इस चिप के पीछे पड़ी है पूरी दुनिया 


जो चिप इतना जरूरी है, जाहिर है कि उस पर जिसका वर्चस्व होगा, वो आने वाले दिनों में सबसे ताकतवर देश बन जाएगा. इसलिए भारत सरकार की इस फ्यूचर ऑयल को बढ़ावा दे रही है. देश में चिप की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. सरकार जानकारी है कि देश की इकोनॉमी को बढ़ाने में इस छोटे से चिप का बड़ा रोल है, इसलिए सेमीकंडट्कर मैन्यूफैक्चरिंग उसकी टॉप प्रायोरिटी में है.  दुनियाभर के सेमीकंडक्टर कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है.   


चीन की दादागिरी खत्म करने का जरिया  


सेमीकंडक्टर चिप को नए जमाने का ऑयल है. इसपर चीन का वर्चस्व है. चीन इसी की धौंस दुनियाभर को दिखाता रहा है. कभी पाबंदियां लगाकर तो कभी सप्लाई रोककर. इसी चिप की वजह से अमेरिका और चीन में ठनी रहती है,लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका चाहकर भी चीन नहीं छोड़ पा रहा है. भारत चिप को लेकर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिशों में लगा है.