जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या बढ़ी, वित्त मंत्री ने कहा- जरूरी हो तो बैंक आपराधिक कार्रवाई करें
Wilful Defaulters: बैंकों से कर्ज लेकर नहीं चुकाने वालों पर अब सरकार सख्ती कर सकती है. वित्त मंत्री ने संसद में कहा है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या बीते तीन साल से लगातार बढ़ी है.
नई दिल्ली: Wilful Defaulters: देश में विलफुल डिफॉल्टर्स यानी जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या लगातार तीन सालों में बढ़ी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया है कि 31 मार्च, 2021 तक विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2,208 से बढ़कर 2,494 हो गई है.
जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बढ़े
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया है कि विलफुल डिफाल्टर्स यानी जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या 31 मार्च 2019 को 2,017 थी, जो 31 मार्च, 2020 को बढ़कर 2,208 हो गई इसके बाद 31 मार्च, 2021 तक ये आंकड़ा 2,494 पहुंच गया. यानी बीते तीन सालों के दौरान जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या में 477 का इजाफा हुआ है.
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अब हो सकती है कड़ी कार्रवाई
वित्त मंत्री ने कहा है कि बैंक्स जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही भी शुरू कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों को अगर लगता है कि उन्हें कार्रवाई करने की जरूरत है तो वो ऐसा कर सकते हैं. बैंक्स बकाए की रिकवरी के लिए कर्जदार या गारंटर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं और अगर जरूरत पड़े तो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी शुरू कर सकते हैं.
सरकारी बैंकों का NPA घटा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में कहा है कि - रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने फंसे हुए खातों और बट्टे खाते में डाले गए कर्जो में से 3,12,987 करोड़ रुपये की वसूली की है. वित्त मंत्री के मुताबिक सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज (NPA) 31 मार्च, 2019 को 5,73,202 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च, 2020 को घटकर 4,92,632 करोड़ रुपये हो गया फिर इस वर्ष 31 मार्च, 2021 को NPA घटकर 4,02,015 करोड़ रुपये रह गया है. यानी इन तीन सालों में सरकारी बैंकों के NPA में लगातार गिरावट दर्ज की गई है.
एक दूसरे सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकारी बैंकों ने पिछले वर्ष के 1,75,876 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 के दौरान 1,31,894 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले हैं. हालांकि दिए जा रहे कर्ज के मुकाबले NPA में गिरावट आ रही है. सरकारी बैंकों का NPA जो 31 मार्च, 2015 को 11.97 परसेंट था अब इस वर्ष 31 मार्च, 2021 को 9.11 परसेंट रह गया है.
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