Work from Home: कोरोना के बाद से घर से काम यानी की वर्क फ्रॉम होम का कल्चर तेजी से बढ़ा है. कंपनियों और कर्मचारियों के बीच  डब्ल्यूएफएच की प्रथा शुरू हो गई है. घर के काम के कई फायदे हैं तो नुकसान और चुनौतियां भी है.   सीआईआई और फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने इसे लेकर अपनी इस रिपोर्ट जारी की है, जिसमें Work From Home के नफा-नुकसान का पूरा लेखा-जोखा दिया गया है. 


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वर्क फ्रॉम होम के फायदे 


 शीर्ष व्यापार चैंबर सीआईआई और फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की. इस स्टडी के मुताबिक कर्मचारियों के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' की सुविधा अधिक संतुलित भौगोलिक विकास को बढ़ावा देने में मददगार हो सकती है.  स्टडी के अनुसार, अलग-अलग स्थानों से कर्मचारियों को काम पर रखने की क्षमता भारत के प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों पर अलग-अलग तरह के दबावों को कम कर सकती है.  


वर्क फ्रॉम होम  लाभ और लागत


इस स्टडी में कहा गया है कि कोविड ने कई ऑल्टरनेटिव सिस्टम को क्रिएट कर दिया है.  घर से काम करना एम्प्लॉयमेंट इकोसिस्टम को बदलने वाला एक प्रमुख परिणाम है.  उस समय से कई संगठनों ने रिमोट और हाइब्रिड वर्क कल्चर को अपनाया है. स्टडी में पाया गया कि नए मॉडल ने ऑफिस रेंटल की लागत में मध्यम बचत की है.  इसी के साथ कंपनियों ने क्लाइंट के साथ मिलने और काम करने से जुड़ी लागत को लेकर भी कटौती दर्ज की है. 


कर्मचारियों को फायदा 


वर्क फ्रॉम होम से आने जाने में और आवास लागत में बचत ने कर्मचारी मुआवजा स्ट्रक्चर में एक लिमिट तक एडजस्टमेंट की सुविधा दी है. कर्मचारियों के लिए ऑफिस आने-जाने के स्ट्रेस को लेकर कमी आई है, जिससे काम करने का स्तर बढ़ा है.  हालांकि, स्टडी में यह भी पाया गया कि वर्क फ्रॉम होम करने से संचार कम प्रभावी हुआ है और रिमोट वर्क, टीम वर्क के लिए हानिकारक है.  


वर्क फ्रॉम होम की चुनौतियां 


स्टडी सुझाव देती है कि रिमोट वर्क के साथ किसी कंपनी के विकास में बाधा आ सकती है. जहां तक कर्मचारियों के लिए लागत और लाभ का सवाल है, पार्टिसिपेंट्स का मानना ​​था कि रिमोट वर्क खास कर छोटे बच्चों वाले माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए फायदेमंद है. कर्मचारी उत्पादकता में भी मामूली वृद्धि दिखी है. हालांकि, स्टडी में बताया गया कि कुछ पार्टिसिपेंट ने काम और निजी जीवन को अलग करने में कठिनाई की जानकारी दी है, जिससे स्ट्रेस बढ़ा है.  कई कर्मचारियों के पास डेडिकेटेड और बिना डिस्टरबेंस वाले वर्कप्लेस की सुविधा घर पर मौजूद नहीं है, इसके अलावा, शेड्यूलिंग में लचीलापन उन लोगों के लिए काफी परेशानी वाला हो सकता है, जो आत्म-अनुशासन बनाए रखने में असमर्थ हैं.  
 
इसके अलावा, रिमोट वर्क के साथ, कर्मचारी के प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए विश्वास पर अधिक निर्भरता आवश्यक हो गई है. मैक्रो एनवायरमेंट को लेकर स्टडी ने सुझाव दिया कि रिमोट वर्क से कंपनी के कार्बन फुटप्रिंट में कमी आई है और इससे संगठन ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं. इनपुट-आईएएनएस