Hooghly Collegiate School in India: हुगली जिले के चिनसुराह में हुगली कॉलेजिएट स्कूल पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक शैक्षणिक संस्थान है. फिशर की स्मृतियों के कोट से ज्ञात होता है, "1817 में इमामबाड़ा से जुड़े एक छोटे स्कूल के अस्तित्व की सूचना मिली थी." तो यह कहा जा सकता है कि यह स्कूल साल 1812 के दौरान वहां था और इसकी पुष्टि शार्प साहब की शैक्षिक रिपोर्ट और सुधीर कुमार मित्रा द्वारा 'हुगली का इतिहास' से हुई है.


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अपनी लंबी जर्नी के दौरान हुगली कॉलेजिएट स्कूल ने बड़ी संख्या में होनहार स्टूडेंट्स और साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, साहित्यकार और शिक्षाविद अक्षय चंद्र सरकार, न्यायमूर्ति सैयद अमीर अली, इतिहासकार रमेश चंद्र मजूमदार, प्रसिद्ध साहित्यकार विभूति भूषण बंदोपाध्याय और सरकार के पूर्व शिक्षा सचिव आशुतोष मुखोपाध्याय जैसी महान हस्तियों को जन्म दिया है.


पश्चिम बंगाल के दिलीप कुमार गुहा, हुगली के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (1998) दुर्गापद सरकार, पद्मश्री पुरस्कार विजेता और केंद्र सरकार के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (1988) सुभाष चंद्र बोस रे, डॉ. मानस चट्टोपाध्याय जो विद्यासागर आदि विश्वविद्यालय के कुलपति थे.


हुगली के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दी गई 1826 ई. की एक रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि मिक्स करिकुलम वाले इस स्कूल में केवल 83 स्टूडेंट पढ़ाई करते थे, जैसे 16 अबी के साथ, 7 पारसी के साथ और 60 अंग्रेजी के साथ.


साल 1849 में 11 साल की आयु में बंकिम चन्द्र को इसी विद्यालय के जूनियर वर्ग में कक्षा-1 में प्रवेश मिला. उन ऐतिहासिक प्रसिद्ध व्यक्तियों के अलावा यह स्कूल अभी भी अलग अलग सालों में पश्चिम बंगाल में कई प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को तैयार कर रहा है. 


यह स्कूल न केवल शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करता है, बल्कि संस्कृति, एथलेटिक्स, ललित कला, क्विज, साइंस मॉडल आदि में भी मजबूती से रोल प्ले करता है. यह समाज को एक संदेश देता है कि हुगली कॉलेजिएट स्कूल के छात्र हर क्षेत्र में अद्वितीय और अजेय हैं. स्कूल को साल 2017 में पश्चिम बंगाल में बेस्ट के रूप में चुना गया था.


स्कूल स्टूडेंट्स को सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और बौद्धिक विकास प्रदान करके उन्हें संवेदनशील, जिम्मेदार और रचनात्मक बनने में मदद करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. अभिभावकों के साथ विचार साझा करना स्कूल शैक्षिक प्रणाली का एक और हिस्सा है ताकि स्टूडेंट्स को वर्तमान समय से निपटने के लिए त्रुटिहीन और स्मार्ट बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. हर साल स्टूडेंट्स और समाज की भागीदारी के साथ सरस्वती पूजा मनाते हैं जहां स्टूडेंट्स की रचनात्मकता को उनकी उत्कृष्टता की साफ-सुथरी एक्टिविटी के लिए अत्यधिक मान्यता दी जाती है.