Central Board of Secondary Education: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों में NCERT की किताबों के इस्तेमाल के बारे में नए नियम बनाए हैं. ये नियम साल 2018 के स्कूलों के नियमों के मुताबिक हैं. CBSE कहता है कि स्कूलों को NCERT या राज्य की किताबें (SCERT) ही इस्तेमाल करनी चाहिए. अगर स्कूल दूसरी किताबें भी इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें बहुत ध्यान रखना होगा कि उनमें कोई गलत या बुरा मतलब वाली बात न हो.


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Current Guidelines
नियमों के मुताबिक, स्कूल उन सब्जेक्ट में NCERT की किताबें इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें ये किताबें उपलब्ध हैं. अगर स्कूल किसी दूसरी कंपनी की किताबें इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें ध्यान रखना होगा कि उन किताबों में किसी भी जाति, समुदाय, लिंग या धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.


एनडीटीवी के मुताबिक स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर उन किताबों की लिस्ट डालनी होगी जो उन्होंने पढ़ाने के लिए चुनी हैं. इस लिस्ट के साथ स्कूल के मैनेजर और प्रिंसिपल को एक लिखा हुआ डिक्लेरेशन भी देना होगा जिसमें वो यह कबूल करेंगे कि उन्होंने किताबों को अच्छे से पढ़ा है और उनकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं. अगर इन किताबों में कोई ऐसी बात मिली जिससे किसी को बुरा लगे, तो स्कूल को सजा होगी और बोर्ड भी कार्रवाई करेगा.


Proposed Amendments
प्रस्तावित संशोधनों के तहत, दिशानिर्देशों को ग्रेड लेवल के आधार पर डिफ्रेंसिएट किया गया है.


Classes 1 to 8
स्कूलों को सलाह दी जाती है कि वे NCERT या राज्य की किताबें (SCERT) ही इस्तेमाल करें. अगर उन्हें ज़रूरत पड़े तो वे दूसरी किताबें भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उन किताबों में जो बातें होंगी, वो देश के स्कूलों के लिए बनाए गए नियमों (NCF-FS और NCF-SE) के मुताबिक ही होनी चाहिए. इन दूसरी किताबों में सारी जरूरी बातें होनी चाहिए, जैसे कि मुख्य जानकारी, चर्चा, विश्लेषण, उदाहरण और कैसे लागू किया जाए.


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Classes 9 to 12
बड़ी क्लासों में CBSE के नियमों के मुताबिक NCERT की किताबें ही पढ़ानी जरूरी हैं. अगर NCERT या राज्य की किताबें (SCERT) नहीं मिलती हैं, तो बोर्ड की वेबसाइट पर मिलने वाली CBSE की किताबें इस्तेमाल करनी होंगी. स्कूल इन किताबों के अलावा दूसरी सामग्री भी दे सकते हैं, और पढ़ाई अच्छे से हो इसके लिए ऑनलाइन चीज़ों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन जो भी दूसरी सामग्री या ऑनलाइन चीज़ें दी जाएं, उन्हें अच्छे से देखना होगा कि वो देश के स्कूलों के नियमों के मुताबिक हैं या नहीं, और उनमें किसी भी जाति, लिंग या धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.


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