IPS Sanjukta Parashar: 2008 में उनकी पहली पोस्टिंग असम के मकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में हुई, जहां जल्द ही उन्हें उदलगुरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हिंसा को कंट्रोल करने के लिए तैनात किया गया.
असम की आईपीएस अधिकारी संजुक्ता पराशर बहुत बहादुर हैं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में डटे हुए हैं. एके-47 लेकर असम के जंगलों में घुसकर वो अपराधियों के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ रही हैं.
डीएनए के मुताबिक, सिर्फ 15 महीनों में उन्होंने 16 आतंकवादियों को मार गिराया, 64 से ज्यादा को पकड़ा है. हथियार और गोला-बारूद जब्त किए हैं. इस इलाके के आतंकवादियों के दिलों में सिर्फ उनका नाम ही दहशत पैदा कर देता है.
संजुक्ता पराशर का जन्म और पालन-पोषण असम में हुआ. असम में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से इंटरनेशनल रिलेशन्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और फिर अमेरिका की विदेश नीति में एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई की.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में संजुक्ता की जर्नी तब शुरू हुई जब उन्होंने 2006 बैच का हिस्सा बनकर ऑल इंडिया रैंक 85 हासिल की. उन्होंने असम-मेघालय कैडर को चुना. साल 2008 में उनकी पहली पोस्टिंग असम के मकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई.
जल्द ही उन्हें उदलगुड़ी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हो रहे हिंसा को काबू करने के लिए तैनात किया गया. बाद में, असम के सोनितपुर जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में, संजुक्ता ने सीआरपीएफ की टीमों को लीड किया और बोडो उग्रवादियों से सीधी लड़ाई लड़ी. वो खुद भी एके-47 लेकर ऑपरेशन में शामिल हुईं. इन ऑपरेशनों की फोटो, जिसमें वो आगे से लीड करती हुई दिख रही थीं, सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.
आतंकी संगठनों से कई बार जान से मारने की धमकियां मिलने के बावजूद, संजुक्ता पराशर हिम्मत नहीं हारीं. साल 2015 में उन्होंने बोडो आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया, जिसमें सिर्फ 15 महीनों में 16 आतंकवादियों को मार गिराया गया. उनकी टीम ने 64 बोडो आतंकवादियों को भी पकड़ा और बहुत सारे हथियार और गोला-बारूद बरामद किए. इससे पहले साल 2014 में उनकी टीम ने 175 आतंकवादियों को पकड़ा था और 2013 में 172 को पकड़ा था.
ट्रेन्डिंग फोटोज़