दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा, हर छात्र नहीं झेल पाता इसका तनाव, है भारत के UPSC से भी टफ
World Toughest Exam: आज हम आपको दुनिया के सबसे कठिन एग्जाम के बारे में बताएंगे, जिसका दबाव और मानसिक तनाव झेल पाना हर किसी छात्र के बस की बात नहीं है. यह एग्जाम भारत की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा से भी टफ माना जाता है.
World Toughest Exam: गाओकाओ (Gaokao) परीक्षा, जिसे चीन में नेशनल हायर एजुकेशन एंट्रेंस एग्जामिनेशन के रूप में भी जाना जाता है, उसे दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. यह परीक्षा चीन के छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाने का एकमात्र मार्ग है और इसका देश के शिक्षा और समाज पर गहरा प्रभाव है.
गाओकाओ का स्ट्रक्चर और उसकी कठिनाई
गाओकाओ परीक्षा का आयोजन हर साल जून में किया जाता है, और यह तीन दिनों तक चलती है. इस परीक्षा के जरिए छात्रों के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी और एकेडमिक प्रोग्राम में एडमिशन के अवसर निर्धारित होते हैं. इसमें चार प्रमुख विषय होते हैं: चाइनीज लैंग्वेज, मैथ्स, फॉरन लैंग्वेज (अधिकतर इंग्लिश), और एक ऑप्शनल सब्जेक्ट जो साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी) या आर्ट्स (इतिहास, भूगोल, राजनीति) से चुनना होता है.
गाओकाओ की कठिनाई का स्तर इसके सवालों की गहराई और व्यापकता से आता है. प्रश्नपत्र न केवल थ्योरिटिकल नॉलेज की मांग करते हैं, बल्कि छात्रों से रीजनिंग, एनालिटिकल एबिलिटी, और क्रिएटिविटी की भी अपेक्षा करते हैं. मैथ और साइंस के प्रश्न विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होते हैं, जिनमें छात्रों को न केवल फॉर्मूले याद रखने होते हैं बल्कि उन्हें जटिल सवालों में लागू भी करना पड़ता है.
गाओकाओ का दबाव और मानसिक तनाव
गाओकाओ सिर्फ एक एकेडमिक परीक्षा नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य का निर्धारण करने वाला एक महत्वपूर्ण बिंदु है. चीन में हायर एजुकेशन प्राप्त करने के अधिक कॉम्पिटिशन के कारण, गाओकाओ में प्रदर्शन बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. इसमें हासिल किए गए अंक न केवल यूनिवर्सिटी में एडमिशन निर्धारित करते हैं, बल्कि यह भी तय करते हैं कि कौन सी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलेगा. केवल टॉप स्कोर हासिल करने वाले छात्र ही देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन पा सकते हैं, जिससे छात्रों पर काफी दबाव होता है.
इस दबाव के कारण छात्र कई सालों तक लगातार तैयारी करते हैं, और परीक्षा के दौरान मानसिक और शारीरिक तनाव का सामना भी करते हैं. परीक्षा के दौरान की लंबी अवधि और कठिन सवाल छात्रों को थका देती है, जिससे परीक्षा का पासिंग परसेंटेज बहुत कम होता है. केवल चुनिंदा छात्र ही हाई स्कोर प्राप्त कर पाते हैं, जिससे प्रतियोगिता और कठिन हो जाती है.
गाओकाओ का सामाजिक प्रभाव
चीन में गाओकाओ को एक सामाजिक स्तर पर भी देखा जाता है. यह परीक्षा ग्रामीण और शहरी छात्रों के बीच अवसरों की असमानता को भी उजागर करती है. बड़े शहरों के छात्रों के पास अधिक संसाधन और बेहतर टीचिंग सुविधाएं होती हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए परीक्षा पास करना कठिन होता है.
इसीलिए गाओकाओ को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है, जहां सफल होना लाखों छात्रों के लिए एक चुनौतीपूर्ण सफर होता है.