बिना कोचिंग UPSC में दूसरी रैंक हासिल कर बनीं टॉपर, जानिए क्या थी स्ट्रेटजी
UPSC Success Story: गरिमा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी रात 9 से लेकर सुबह 9 बजे तक किया करती थीं. दरअसल, किसी भी तरह के डिस्ट्रेक्शन से बचने के लिए गरिमा ने पढ़ाई के लिए यह समय चुना था.
Garima Lohia UPSC Success Story: भारत की सबसे कठिन परीक्षा की बात करें, तो उसमें यूपीएसी सिविल सेवा परीक्षा का नाम सबसे पहले आता है. इस परीक्षा को पास करने के लिए पूरी तरह समर्पित होकर तैयारी करनी पड़ती है, तब जाकर कहीं चंद उम्मीदवार इस परीक्षा में सफलता हासिल कर पाते हैं. दरअसल, अगर आपमें किसी चीज के लिए जुनून है, तो कोई भी लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाता है. आज हम आपको ऐसी ही उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बिना कोचिंग के ही इस परीक्षा की तैयारी की और पूरे देश में ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल कर टॉपर बन गईं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं गरिमा लोहिया की, जो मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं एक व्यवसायी परिवार में पली-बढ़ी हैं. गरिमा का जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ था. गरिमा को आत्म-सुधार के बारे में पॉडकास्ट सुनना पसंद है. यूपीएससी सीएसई 2022 में दूसरे स्थान पर रहीं गरिमा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई की हैं, जहां उन्होंने 2020 में अपनी अकाउंटिंग की डिग्री प्राप्त की.
जब कोविड-19 ने देश को पूरी तरह से रोक दिया था, उस दौरान गरिमा लोहिया ने खुद को पूरी तरह से सेल्फ-स्टडी के लिए समर्पित कर दिया. गरिमा ने YouTube सहित इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक की तैयारी की. नौ साल पहले गरिमा के पिता की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मृत्यु हो गई थी.
उन्होंने घर पर रहकर ऑनलाइन ही परीक्षा की तैयारी की और इस दौरान किसी ट्यूशन प्रोग्राम में एडमिशन नहीं लिया. हालांकि, 2021 के अपने शुरुआती प्रयास में वह प्रीलिम्स परीक्षा में पास नहीं हो पाई थीं. इसके बाद उन्होंने अपने स्टडी सेशन की टाइमिंग बढ़ा दी और हर दिन लगभग 12 घंटे पढ़ाई करने लगीं.
गरिमा अपने दूसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 2 प्राप्त करके सफलता का एक नया स्तर हासिल करने में सफल रहीं. सिविल सेवा परीक्षा के लिए उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट कॉमर्स का अकाउंटिंग था. उन्होंने कहा, "मैंने घर पर रहकर पढ़ाई की." वह रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक पढ़ाई करती थीं, क्योंकि उस दौरान कोई डिस्ट्रेक्शन नहीं होता था.