CIC Appointment Process: सूचना आयोग दो लेवल पर होते हैं, पहला क्रेंदीय और दूसरा राज्य स्तरीय. राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट (RTI) 2005 के तहत देश में केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों का गठन किया गया है. इन आयोगों में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से लेकर उनकी सैलरी और मिलने वाली सुविधाएं अक्सर चर्चा का विषय रहती हैं. सूचना आयुक्त कैसे नियुक्त होते हैं, उनकी योग्यता, सैलरी और सुविधाओं के बारे में यहां जानिए सबकुछ...


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केंद्रीय सूचना आयोग का गठन
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) का गठन राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट 2005 के तहत होता है. इसमें मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 सूचना आयुक्त होते हैं. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है. इस समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं.


राज्य सूचना आयोग का गठन
राज्य सूचना आयोगों का गठन राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिश पर किया जाता है. स्टेट इंफॉर्मेशन कमीशन में भी एक मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 सूचना आयुक्त होते हैं. राज्य सूचना आयोग का गठन संबंधित राज्य में राइट टू इनफॉर्मेशन अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए किया जाता है.


सूचना आयुक्त बनने की पात्रता
केंद्रीय और राज्य सूचना आयुक्त बनने के लिए उम्मीदवार को लीगल, साइंस, टेक्नोलॉजी, सोशल सर्विस, मैनेजमेंट, जर्नलिज्म, मास मीडिया या एडमिनिस्ट्रेशन में एक्सपीरियंस होना चाहिए. इसके अलावा आयु सीमा 65 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इन मापदंडों के आधार पर कैंडिडेट का सिलेक्शन किया जाता है.


सैलरी और भत्ते
केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त को प्रति माह 2,50,000 रुपये सैलरी मिलती है, जबकि अन्य सूचना आयुक्तों की सैलरी 2,25,000 रुपये मंथली होती है. राज्य सूचना आयुक्तों को भी यही वेतनमान दिया जाता है. इसके अलावा आयुक्तों को गाड़ी, सरकारी आवास और अन्य भत्तों जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं.


ये होती हैं जिम्मेदारियां
केंद्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों का मुख्य कार्य जनता को राइट टू इंफॉर्मेशन अधिनियम के तहत जानकारी प्रदान करना है. वे इंफॉर्मेशन के लिए की गई अपीलों और शिकायतों का निपटारा करते हैं. साथ ही, वे सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी विभाग और अधिकारी पारदर्शिता बनाए रखें.


इंफॉर्मेशन कमीशन का रोल और महत्व
सूचना आयोगों का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है. ये आयोग राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट के तहत जनता को उनकी जानकारी तक पहुंचने में मदद करते हैं. सूचना आयुक्तों की सख्त निगरानी से सरकार और जनता के बीच विश्वास का संबंध मजबूत होता है.