How Grenade Explodes Just By Removing Pin: ग्रेनेड एक हथगोला है, जो युद्ध या सुरक्षा अभियानों में उपयोग होता है. ग्रेनेड में एक पिन लगी होती है, जो सुरक्षा उपाय के रूप में काम करती है. इसे खींचने के बाद ग्रेनेड एक निश्चित समय के बाद फट जाता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर एक पिन निकाल देनेभर से ही ग्रेनेड कैसे भट जाता है?


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इसके लिए आपको ग्रेनेड की पिन निकालने के पीछे का साइंस और मैकेनिज्म समझना बहुत जरूरी है. क्योंकि यह पिन केवल एक सुरक्षा उपाय नहीं है, बल्कि इसके अंदर के कॉम्पलेक्स प्रोसेस को शुरू करने का पहला कदम है.


1. ग्रेनेड का स्ट्रक्चर:
ग्रेनेड में मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं: (i) सुरक्षा पिन, (ii) लीवर (जिसे "स्पून" भी कहते हैं), और (iii) फ्यूज और एक्सप्लोसिव मटेरियल.


यह पिन एक सेफ्टी मैकेनिज्म के रूप में काम करती है, जिससे ग्रेनेड गलती से फट न जाए. जब पिन लगी होती है, तो ग्रेनेड एक्टिव नहीं होता है और लीवर सुरक्षित रूप से अपनी जगह पर रहता है.


2. पिन निकालने पर क्या होता है?
जब ग्रेनेड में लगी पिन को निकाला जाता है, तो ग्रेनेड का लीवर (स्पून) अब सिर्फ उपयोगकर्ता के हाथ की पकड़ से दबा रहता है. जैसे ही लीवर को छोड़ दिया जाता है, ग्रेनेड का इंटरनल स्ट्राइकर (एक छोटा स्प्रिंग-लोडेड मैकेनिज्म) एक्टिव हो जाता है. यह स्ट्राइकर स्प्रिंग की ताकत से घूमकर प्राइमर (एक छोटा विस्फोटक कैप) को टकराता है. इस टकराव से एक छोटी चिंगारी उत्पन्न होती है, जो आगे फ्यूज को जलाने का काम करती है.


3. फ्यूज का जलना और विस्फोट
फ्यूज एक धीमी गति से जलने वाला पदार्थ होता है, जो आमतौर पर 4-5 सेकंड में पूरी तरह जलता है. जैसे ही यह जलता है, यह ग्रेनेड के अंदर स्थित मुख्य विस्फोटक तक पहुंचता है. इस प्रोसेस के पूरा होते ही ग्रेनेड तेज धमाके के साथ फटता है, और इसके टुकड़े चारों तरफ बड़ी तेजी से फैलते हैं, जो आसपास के इलाके में विनाशकारी प्रभाव डालते हैं.


4. सुरक्षा उपाय
ग्रेनेड में लगे सिक्योरिटी पिन का काम है उसको तब तक एक्टिव ना होने देना, जब तक इसे उपयोगकर्ता द्वारा जानबूझकर एक्टिव ना किया जाए. इसके बिना ग्रेनेड बहुत अस्थिर हो सकता है. यही कारण है कि युद्ध क्षेत्र में या किसी ऑपरेशन के दौरान ग्रेनेड को संभालते समय पिन को तभी निकाला जाता है जब इसे तुरंत इस्तेमाल करना हो.