IAS Success Story: कनिष्क कटारिया के पास सबकुछ था- आईआईटी डिग्री, विदेश में एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी और सैलरी भी उतनी जिसके बारे में ज़्यादातर लोग केवल सपने ही देख सकते हैं, लेकिन उन्हें कुछ और चाहिए था, जो पैसा और आराम से परे था. आखिर ऐसा क्या था जो एक आदमी को साउथ कोरिया में 1 करोड़ रुपये का पैकेज छोड़कर भारत लौटने के लिए मजबूर कर सकता था? इसका जवाब है जनसेवा के प्रति उनका जुनून.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजस्थान के मूल निवासी कटारिया ने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की. ​​उनका करियर तुरंत ही आगे बढ़ गया, उन्हें दक्षिण कोरिया में सैमसंग में शानदार नौकरी मिल गई. अपनी शानदार स्थिति के बावजूद, कनिष्क का असली टारगेट कहीं और था - उनका सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी बनने का था. अपने पिता सांवर मल वर्मा, जो एक आईएएस अधिकारी और राजस्थान में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के निदेशक थे, से प्रेरित होकर, कनिष्क को अपना रास्ता पता था.


2017 में कनिष्क ने अपनी नौकरी छोड़ दी और जयपुर लौट आए, उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास करने का दृढ़ संकल्प लिया. उनकी कहानी को और भी उल्लेखनीय बनाने वाली बात यह थी कि उन्होंने किसी कोचिंग में एडमिशन नहीं लेने का फैसला किया. इसके बजाय, उन्होंने पूरी तरह से सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया. बेजोड़ समर्पण के साथ, कनिष्क ने 2019 में यूपीएससी परीक्षा दी और अपने पहले अटेंप्ट में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 1 हासिल करके विजयी हुए.


IAS vs IPS: कौन ज्यादा कमाता है? पावर, रोल और जिम्मेदारियों में क्या है अंतर?


कनिष्क की सफलता उनके परिवार, खासकर उनके पिता और चाचा केसी वर्मा, जो जयपुर में संभागीय आयुक्त हैं, के लिए गर्व का क्षण था. अपनी जर्नी के बारे में बताते हुए, कनिष्क ने एक बार कहा था, "बचपन से ही मैंने अपने पिता और चाचा को देश की सेवा करते देखा है. मैं उनके पदचिन्हों पर चलना चाहता था." आज कनिष्क कटारिया राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग (डीओपी) में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं, जहां वे अपने सपने को पूरा करने में जुटे हुए हैं.


आज की MBA केवल डिग्री ही नहीं, लाइफ मे कैसे होना है सक्सेस ये भी बताती है