IAS Pranjal Patil UPSC Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा बहुत से लोगों के लिए एक असंभव सपना है, क्योंकि इसके लिए कड़ी मेहनत और अथक प्रयास की आवश्यकता होती है. हालांकि, कुछ लोगों ने यूपीएससी पास करने से पहले कई व्यक्तिगत संघर्षों को पार किया है और अंत में वे दोनों में सफल रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सात साल की उम्र में खोई आंखों की रोशनी
ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है प्रांजल पाटिल की, जिन्होंने भारत की पहली दृष्टिबाधित आईएएस अधिकारी बनने से पहले कई विपरीत परिस्थितियों पर विजय प्राप्त की. 1988 में जन्मी प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली हैं. सात साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.


यहां से हासिल की शिक्षा
उन्होंने मुंबई के कमला मेहता दादर स्कूल फॉर द ब्लाइंड से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और सेंट जेवियर्स कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. ​​इसके बाद उन्होंने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशन्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.


बनीं भारत की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर 
उसके बाद उन्होंने पीएचडी और एम.फिल. किया. उसी दौरान प्रांजल ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया. उन्होंने दो बार यूपीएससी परीक्षा दी. पहली बार 2016 में और अगली बार 2017 में. साल 2016 में उनकी रैंक 744 थी. इसलिए उन्होंने दुसरी बार फिर से परीक्षा देने का फैसला लिया. अपने दूसरे प्रयास में वह ऑल इंडिया 124वीं रैंक हासिल करके IAS अधिकारी बन गईं. इसके अलावा बता दें कि वह भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर हैं.


इस स्पेशल सॉफ्टवेयर की मदद से की तैयारी
प्रांजल ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया. उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए नेत्रहीनों के लिए इस्तेमाल होने वाले स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया.


वर्तमान में यहां हैं पोस्टेड
साल 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 124वीं रैंक हासिल करने के बाद, उन्हें पहली बार 2018 में केरल के एर्नाकुलम में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में तैनात किया गया था. हालांकि, इससे पहले उन्हें दृष्टिबाधित होने के कारण भारतीय रेलवे लेखा सेवा में शामिल होने से रोक दिया गया था. वर्तमान में, वह तिरुवनंतपुरम की सब-कलेक्टर हैं और केरल में सेवा दे रही हैं.