आज से कितने साल पहले रेलगाड़ी में मिली थी एसी की सुविधा, सबसे पहले किन शहरों में चली थी एसी ट्रेन? जानिए
Indian Railway History: आज से करीब 100 साल पहले ट्रेनों में एसी सुविधा नहीं थी. रेलवे फर्स्ट क्लास के डिब्बों को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल होता था, जिनमें केवल गोरे सफर करते थे. जानिए भारत में सबसे पहले एसी ट्रेन कब चली थी...
India First AC Train: भारतीय रेलवे का इतिहास बहुत पुराना है. अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में रेलगाड़ी का संचालन शुरू किया था. भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी, जिसने 34 किलोमीटर का सफर तय किया था. इस बारे में तो ज्यादातर लोग जानते ही हैं, लेकिन क्या आपको यह पता है कि भारत में कब सबसे पहली बार ट्रेन में एसी सुविधा दी गई थी? आज हम आपको आज यह Indian Railway Unknown Fact बताने जा रहे है...
फर्स्ट क्लास में केवल अंग्रेज करते थे सफर
सबसे पहले हम बात करके हैं उस समय के फर्स्ट क्लास डिब्बे की. इन डिब्बों का इस्तेमाल केवल अंग्रेज ही कर सकते थे. अब उस समय बोगियों में एयर कंडीशनर तो होते नहीं थे, तब इन्हें ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का यूज किया जाता था. गोरों ने अपनी सुविधा के लिए ये सिस्टम बनाया था. डिब्बे को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियां फ्लोर के नीचे रखी जाती थीं. आगे चलकर इसमें एसी वाला सिस्टम लगा दिया गया. इस तरह भारत में सबसे पहले एसी ट्रेन भी आजादी से पहले 1934 में शुरू हुई थी. सबसे पहली एसी वाली ट्रेन पंजाब मेल ही है.
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पंजाब मेल को ब्रिटिश काल की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक मानी जाती थी. यह ट्रेन 1 सितंबर 1928 को मुंबई के बैलार्ड पियर स्टेशन से दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक शुरू हुई थी. इसके बाद 1 मार्च 1930 से ट्रेन का रूट बदल दिया गया और इसे सहारनपुर, अंबाला, अमृतसर की ओर मोड़ दिया गया. पार्टिशन के समय अमृतसर टर्मिनल स्टेशन हुआ करता था. अब आजादी के बाद से इस ट्रेन का संचालन मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से फिरोजपुर पंजाब के बीच किया जा रहा है.
सबसे पहले इस ट्रेन में जुड़ा एसी कोच
साल 1934 में पंजाब मेल में एसी कोच जोड़े जाने के बाद इसका नाम बदलकर 'फ्रंटियर मेल' कर दिया गया था. इसके बाद सितंबर 1996 में दोबारा इसका नाम बदला, तब इसे 'गोल्डन टेंपल मेल' नाम मिला. जब ट्रेन शुरू हुई थी, तो भाप इंजन पर चलती थी और यह करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती थी. अब इलेक्ट्रिक इंजन पर दौड़ने वाली गोल्डन टेंपल मेल 1,893 किलोमीटर का सफर तय करती है. 24 डिब्बों में इस ट्रेन में तब से पैंट्री कार की सुविधा थी. यह ट्रेन आज भी अपनी सेवाएं दे रही है, जिसके 96 साल पूरे हो गए हैं.