Loco Pilot Training: एक लोको पायलट की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि ट्रेन के ड्राइवर की जिम्मेदारी केवल ट्रेन को एक से दूसरी जगह पहुंचाने की ही नहीं होती, बल्कि इनके ऊपर हजारों पैसेंजर्स को सुरक्षित पहुंचाने का भी जिम्मा होता है. इसी कारण लोको पायलट बनने के लिए मुश्किल मेडिकल टेस्ट और ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है.


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ट्रेन के इंजन में बैठा वह व्यक्ति ट्रेन के संचालन, सुरक्षा और समय पर पहुंचने के लिए जिम्मेदार होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि लोको पायलट कैसे बनते हैं और उनकी ट्रेनिंग किस तरह होती है? एक लोको पायलट बनने के लिए कड़ी मेहनत और टेक्नीकल नॉलेज की जरूरत होती है. आइए जानते हैं भारतीय रेलवे में लोको पायलट बनने के सफर और उनकी ट्रेनिंग के बारे में


लोको पायलट बनने के लिए शैक्षिक योग्यता
लोको पायलट बनने के लिए सबसे पहले आपको न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पूरी करनी होती है. उम्मीदवारों के पास साइंस या इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होना चाहिए, जैसे कि मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग. इसके बाद रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता प्राप्त करनी होती है। इस परीक्षा में सामान्य ज्ञान, गणित, तर्कशक्ति और तकनीकी ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है.


ट्रेनिंग की शुरुआत: क्लासरूम से लेकर सिमुलेटर तक
लोको पायलट बनने की ट्रेनिंग की शुरुआत क्लासरूम में होती है, जहां उम्मीदवारों को ट्रेन की तकनीकी जानकारी, सुरक्षा प्रक्रियाओं और रेलवे के नियमों का गहराई से अध्ययन कराया जाता है. इसके बाद सिमुलेटर ट्रेनिंग दी जाती है, सिमुलेटर एक ऐसा उपकरण है, जो असली ट्रेन चलाने जैसा अनुभव देता है. यहां लोको पायलटों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटना सिखाया जाता है.


असली ट्रेन के साथ अनुभव
सिमुलेटर ट्रेनिंग के बाद उम्मीदवारों को असली ट्रेनों के साथ मैदानी प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें ट्रेन को ऑपरेट करना, सिग्नल पढ़ना, रूट्स को समझना और टाइम मैनेजमेंट की बारीकियां सिखाई जाती हैं. इस दौरान अनुभवी लोको पायलट मार्गदर्शन करते हैं. ट्रेनिंग का यह फेज उम्मीदवारों को असली ट्रेन संचालन का आत्मविश्वास और कुशल बनाना है.


सुरक्षा और जिम्मेदारी पर खास जोर
लोको पायलट की ट्रेनिंग में सुरक्षा सबसे अहम होती है. उम्मीदवारों को यह सिखाया जाता है कि वे कैसे दुर्घटनाओं से बचें और ट्रेन संचालन के दौरान यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. इसके अलावा, उन्हें ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, ब्रेकिंग मैकेनिज्म और अन्य तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल की जानकारी दी जाती है. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें सहायक लोको पायलट (ALP) के रूप में नियुक्त किया जाता है, जहां से उनके करियर की शुरुआत होती है.