Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में देशभर से साधु-संत पहुंच रहे हैं. इन्हीं साधु-संतों में खास तौर पर शामिल होने वाले तंगतोड़ा साधु भी यहां पहुंचे हैं. ये साधु साधारण नागा साधुओं से काफी अलग होते हैं क्योंकि तंगतोड़ा साधु के लिए इन्हें एक इंटरव्यू पास करना होता है, जो IAS के इंटरव्यू के भी कठिन माना जाता है.
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Tangtoda Sadhus: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. देशभर से साधु-संतों का यहां आगमन हो रहा है, जिनमें खास तौर पर 'तंगतोड़ा साधु' भी शामिल हैं. तंगतोड़ा साधु बड़ा उदासीन अखाड़े से जुड़ी एक विशेष श्रेणी होती है, जिन्हें अखाड़े की परंपरा में बेहद ऊंचा स्थान प्राप्त है. इन्हें साधारण नागा साधुओं से अलग माना जाता है और इनका चयन एक बेहद कठिन प्रक्रिया के जरिए किया जाता है.
तंगतोड़ा साधु कौन होते हैं?
साधुओं की नागा श्रेणी में शामिल होने वाले साधुओं को सात प्रमुख शैव अखाड़ों में नागा कहा जाता है. वहीं, 'बड़ा उदासीन अखाड़ा' इन्हें 'तंगतोड़ा साधु' कहता है. तंगतोड़ा साधु अखाड़े की कोर टीम में होते हैं और अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
इन साधुओं का चयन बेहद जटिल प्रक्रिया से होता है. यह प्रक्रिया इतनी कठिन मानी जाती है कि इसकी तुलना संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सिविल सेवा परीक्षा में IAS के इंटरव्यू से होती है. कहा जाता है कि इनका इंटरव्यू IAS के इंटरव्यू से भी कठिन होता है. इसके अलावा तंगतोड़ा साधु बनने के लिए लिया जाने वाला इंटरव्यू किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए पास करना लगभग असंभव है.
तंगतोड़ा बनने की कठिन प्रक्रिया
देशभर में फैले 'श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी' के लगभग पांच हजार आश्रमों, मंदिरों और मठों के प्रमुख संत अपने योग्य चेलों को तंगतोड़ा साधु बनाने की संस्तुति करते हैं. यह प्रक्रिया साधारण नागा साधुओं से काफी अलग और कठिन होती है.
तंगतोड़ा बनने के लिए चुने गए चेलों को 'रमता पंच' के सामने प्रस्तुत किया जाता है. रमता पंच अखाड़े के इंटरव्यू बोर्ड के रूप में काम करते हैं. रमता पंच साधुओं के चयन में बेहद कड़ी परीक्षा लेते हैं.
IAS इंटरव्यू से भी कठिन क्यों है तंगतोड़ा का इंटरव्यू?
तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया को IAS या PCS इंटरव्यू से भी कठिन इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें जो सवाल पूछे जाते हैं, उनके उत्तर किसी किताब में नहीं मिलते. ये सवाल पूरी तरह गोपनीय होते हैं और इनका जवाब केवल वही व्यक्ति दे सकता है जिसने लंबे समय तक अखाड़े की सेवा की हो.
इसके अलावा, तंगतोड़ा बनने की प्रक्रिया में कोई मॉक इंटरव्यू नहीं होता है. साधु को वास्तविक परिस्थितियों में परखा जाता है और उनके आध्यात्मिक ज्ञान, अखाड़े की परंपराओं और सेवा भाव की कड़ी परीक्षा ली जाती है.
चयन प्रक्रिया की जटिलता
तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है.
- पहले चरण में चेले को अखाड़े के इष्ट देवता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.
- इसके बाद उसे संगम में स्नान कराया जाता है.
- फिर उसे संन्यास परंपरा की शपथ दिलाई जाती है.
इसके बाद चेले को धूना (अलाव) के सामने एक लंगोटी में कई दिनों तक खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. उसे लगातार 24 घंटे धूने के सामने रहना होता है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि साधु कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो.
पूछे जाते हैं अनोखे सवाल
रमता पंच साधुओं से ऐसे सवाल पूछते हैं, जिनका उत्तर केवल वही चेला दे सकता है जिसने अपने गुरु और अखाड़े की परंपराओं का लंबे समय तक पालन किया हो.
पूछे जाने वाले सवालों में प्रमुख रूप से ये विषय शामिल होते हैं:
1. टकसाल: अखाड़े की परंपराओं का मूल ज्ञान
2. गुरु मंत्र: आध्यात्मिक मंत्र और उनका अर्थ
3. चिमटा: साधुओं के उपकरणों का उपयोग
4. धुंधा: पूजा-पाठ की प्रक्रिया
5. रसोई: अखाड़े की रसोई व्यवस्था और उससे जुड़े नियम
ये सभी सवाल अखाड़े की परंपराओं से गहराई से जुड़े होते हैं और इनका उत्तर किसी किताब में नहीं मिलता. इसलिए तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय और कठिन मानी जाती है.
सिर्फ एक दर्जन चेले होते हैं सफल
तंगतोड़ा साधु बनने की कठिन परीक्षा में हर कोई सफल नहीं हो पाता.
- इस कठिन प्रक्रिया में भाग लेने वाले दर्जनों चेलों में से मुश्किल से एक दर्जन चेलों का ही चयन हो पाता है.
- चयनित चेलों को अखाड़े में विशेष सम्मान प्राप्त होता है और वे अखाड़े की कोर टीम का हिस्सा बनते हैं.
श्रीमहंत महेश्वरदास का बयान
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास का कहना है कि तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया केवल उन्हीं चेलों के लिए होती है जो लंबे समय तक अखाड़े की सेवा करते हैं. उन्होंने बताया कि अखाड़े के गुरुओं की संगत में रहकर अखाड़े की परंपरा को आत्मसात करने वाले चेलों को ही इस कठिन प्रक्रिया से गुजरने का अवसर मिलता है.
श्रीमहंत महेश्वरदास ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया केवल आध्यात्मिक ज्ञान को परखने के लिए नहीं, बल्कि साधु के त्याग, तपस्या और सेवा भाव को परखने के लिए होती है.
तंगतोड़ा साधुओं का महत्व
तंगतोड़ा साधु बनने के बाद साधु को अखाड़े की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं. ये साधु:
- अखाड़े की कोर टीम का हिस्सा बनते हैं.
- धार्मिक आयोजनों और परंपराओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाने का काम करते हैं.