इंडिया को बैडमिंटन में दिलाया गोल्ड, साथ ही क्रैक की UPSC परीक्षा, बनीं IPS अफसर
UPSC Success Story: आईपीएस ऑफिसर कुहू गर्ग इंडियन बैडमिंटन प्लेयर भी हैं. उन्होंने 2019 के दक्षिण एशियाई खेलों में गोल्ड और 2019 के नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है. इसके अलावा वह इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट में 17 से ज्यादा पदक जीत चुकी हैं.
IPS Kuhoo Garg: पिता और बेटी के बीच का रिश्ता अक्सर प्रभाव और प्रशंसा से भरा होता है, जैसा कि कुहू गर्ग ने दिखाया है, जो एक IPS अधिकारी और कुशल बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. उनके सफर को उनके पिता अशोक कुमार ने काफी हद तक आकार दिया है, जो उत्तराखंड के पूर्व DGP हैं. अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के अलावा, कुहू ने अपनी एथलेटिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में 17 से ज़्यादा पदक जीते हैं. इसके अलावा उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में ऑल इंडिया रैंक 178 हासिल की है. आइए यहां उनके सफर के बारे में और जानें.
नौ या दस साल की उम्र में, कुहू गर्ग ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. उनके माता-पिता ने उनके इस करियर को आगे बढ़ाने के फैसले का समर्थन किया, क्योंकि उन दोनों की खेलों में गहरी रुचि थी. यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद कुहू गर्ग ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में सरकारी पद हासिल किया है. अपने पिता को दूसरों की मदद करते हुए देखकर बड़ी हुई कुहू भी दुनिया में बदलाव लाने के लिए प्रेरित हैं.
कुहू गर्ग के पिता अशोक कुमार ऐसे पद पर थे, जहां से उन्हें कई बार ट्रांसफर किया गया. नतीजतन, कुहू ने पहले कई शहरों में पढ़ाई भी की. कुहू गर्ग की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के सेंट जोसेफ स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने आठवीं से बारहवीं तक दिल्ली के संस्कृति स्कूल में पढ़ाई की. उन्होंने 2018 में दिल्ली विश्वविद्यालय के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक SRCC से इकोनॉमिक्स ऑनर्स के साथ ग्रेजुएशन किया. इस दौरान उनकी मुलाकात कुछ दोस्तों से हुई, जिनसे वह अब भी संपर्क में हैं.
कुहू ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में भाग लिया और जीता है. अशोक कुमार के अनुसार, वह टीम इंडिया के लिए खेलते हुए यूपीएससी परीक्षा पास करने वाली पहली खिलाड़ी हैं. ऐसी परिस्थितियों में ओपन कैटेगरी में कुहू के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. डॉ. डीके सेन कुहू गर्ग के कोच थे. उन्हें साइना नेहवाल के कोच गोपीचंद से भी सीखने का मौका मिला. उन्होंने 2019 के दक्षिण एशियाई खेलों में गोल्ड और 2019 के नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता.
कुहू गर्ग के अनुसार, एक व्यक्ति का जीवन एक निश्चित क्षण में बदल जाता है. कुहू, जो छोटी उम्र से ही बैडमिंटन खेलती रही हैं, उनको अप्रत्याशित चोट लगने के बाद सर्जरी करानी पड़ी. एक साल तक उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा. कुहू गर्ग ने इस दौरान यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. इस दौरान उन्हें अपनी स्कूल की दोस्त नारायणी भाटिया से काफी मदद मिली. यूपीएससी-2023 में नारायणी भाटिया ने 45वीं रैंक हासिल की है. वह यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं.