वो मंगोल शासक जो दुश्मनों के सिर काट बनाता था पिरामिड, मौत के बाद भी उसकी गद्दी पर बैठने से डरते थे लोग
Genghis Khan: आज हम आपको दुनिया के उस शासक के बारे में बताएंगे, जो युद्ध जीतने के बाद अपने दुश्मन सेना से सैनिकों के सिर काटता था और उनके सिरों से पिरामिड बनाता था. यह काम वह अपने दुश्मनों में खौफ पैदा करने के लिए किया करता था.
Mongol Ruler Genghis Khan: चंगेज़ खान, मंगोल साम्राज्य का संस्थापक और इतिहास के सबसे महान सेनानायकों में से एक था. वह अपनी क्रूरता, सैन्य कौशल और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था. उसका असली नाम तेमुजिन था, लेकिन उसने मंगोल कबीलों को एकजुट कर विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी, जिस कारण उसे चंगेज़ खान की उपाधि दी गई थी. चंगेज़ खान का अर्थ है "सभी महासागर के महान शासक". 12वीं और 13वीं सदी के दौरान, चंगेज़ खान ने एक विशाल साम्राज्य की नींव रखी, जो एशिया से यूरोप तक फैला.
दुश्मनों के सिर काट बनाता था पिरामिड
चंगेज़ खान ने कई दुश्मनों और राज्यों को पराजित किया, लेकिन उसकी क्रूरता की कहानियां विशेष रूप से कुख्यात हैं. युद्ध के दौरान, वह दुश्मनों को मानसिक और शारीरिक रूप से भयभीत करने के लिए क्रूर रणनीतियों का उपयोग करता था. मंगोल सेनाओं द्वारा जीते गए शहरों और दुश्मनों के शिविरों में मारे गए सैनिकों और नागरिकों के सिर काटकर पिरामिड बनाना उसकी एक खास रणनीति थी. यह न केवल उसके शत्रुओं को भयभीत करता था बल्कि उसकी शक्ति और नियंत्रण को भी दर्शाता था. चंगेज़ खान की यह क्रूरता एक प्रभावी हथकंडा थी, जिसने उसके दुश्मनों को बिना प्रतिरोध आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया.
मौत के बाद भी था उसका खौफ, सालों तक खाली रही गद्दी
1227 में चंगेज़ खान की मृत्यु के बाद, उसकी गद्दी खाली रही, लेकिन यह केवल उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में देरी के कारण नहीं था, बल्कि मुख्य कारण उसका डर और प्रभाव था, जिसने मंगोल साम्राज्य के भीतर अस्थायी रूप से शांति बनाए रखी. उसकी मृत्यु के बावजूद, उसके सैनिक, जनरल और यहां तक कि दुश्मन भी उसके आतंक और खौफ से इतने डरे हुए थे कि कोई भी तुरंत गद्दी पर बैठने का साहस नहीं कर पाया.
चंगेज़ खान के उत्तराधिकारी चुनना था काफी कठिन
वहीं, मंगोलों के लिए खान का चुनाव एक गंभीर और जटिल प्रक्रिया थी, जो खान की सभा (कुरुलताई) द्वारा तय की जाती थी. चंगेज़ खान के उत्तराधिकारी का चुनाव करना एक ऐसा कदम था जिसे बिना सोचे-समझे और जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता था.
आखिरकार बेटे को मिली गद्दी
हालांकि, आखिरकार उसकी गद्दी पर उसके तीसरे बेटे ओगेदेई को खान चुना गया, जिसने उसके अधूरे काम को पूरा किया और साम्राज्य को और भी विस्तार दिया. लेकिन चंगेज़ खान के मरने के बाद भी उसका खौफ मंगोल साम्राज्य के लोगों और उसके दुश्मनों के दिलों में कई सालों तक बना रहा, जिसने उसकी गद्दी को खाली रखा.