7 साल की उम्र में बना दुनिया का सबसे छोटा सर्जन, 12 में पहुंचा IIT; 146 है IQ
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7 साल की उम्र में बना दुनिया का सबसे छोटा सर्जन, 12 में पहुंचा IIT; 146 है IQ

Akrit Pran Jaswal Child Prodigy: 12 साल की उम्र में ही अकृत को भारत के "सबसे कम उम्र की यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट" के रूप में पहचाना जाने लगा था.

7 साल की उम्र में बना दुनिया का सबसे छोटा सर्जन, 12 में पहुंचा IIT; 146 है IQ

अक्सर कहा जाता है कि सिर्फ प्रतिभा ही सफलता की गारंटी नहीं होती; प्रतिभा को उल्लेखनीय उपलब्धियों में बदलने के लिए प्रयास और अनुशासन की जरूरत होती है. हिमाचल प्रदेश के एक प्रतिभाशाली लड़के अकृत प्राण जसवाल की कहानी इस बात का बेहतरीन उदाहरण है. "दुनिया के सबसे कम उम्र के सर्जन" के रूप में मशहूर अकृत ने सात साल की छोटी सी उम्र में सर्जरी करके सुर्खियां बटोरीं.

23 अप्रैल, 1993 को हिमाचल प्रदेश के नूरपुर में जन्मे अकृत की असाधारण क्षमताएं छोटी उम्र से ही क्लियर हो गई थीं. 10 महीने की उम्र में, वह चलने और बोलने लगे थे, और जब वह दो साल के हुए, तो वह पहले से ही पढ़ने और लिखने में सक्षम थे. जिस उम्र में अधिकांश बच्चे अभी भी बुनियादी स्किल सीख रहे होते हैं, उस उम्र में अकृत अंग्रेजी क्लासिक्स पढ़कर लोगों को चौंका रहे थे.

जले हुए बच्चे की सर्जरी की

उनके टैलेंट ने दुनिया का ध्यान तब खींचा जब अकृत ने मात्र 7 साल की उम्र में एक 8 साल के जले हुए बच्चे की सर्जरी की, जिससे उन्हें "दुनिया के सबसे युवा सर्जन" का खिताब मिला. इस उपलब्धि ने एक मेडिकल प्रतिभा के रूप में उनके सफर की शुरुआत की.

12 साल की उम्र में ही अकृत को भारत के "सबसे कम उम्र की यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट" के रूप में पहचाना जाने लगा था. 146 के आईक्यू के साथ, उनकी प्रतिभा ने इंटनेशनल अटैंशन कैप्चर किया, जिसमें ओपरा विन्फ्रे के टॉक शो में उपस्थिति भी शामिल थी. इस छोटी सी उम्र में, उन्होंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में साइंटिफिक रिसर्च शुरू किया और बाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर में बायोइंजीनियरिंग की पढ़ाई की. 17 साल की उम्र तक, अकृत केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल कर रहे थे, जिससे एकेडमिक एक्सीलेंस के प्रति उनका कमिटमेंट और भी क्लियर हो गया.

कैंसर रिसर्च

अकृत कैंसर रिसर्च में डीपली से शामिल रहे हैं और उन्हें धर्मशाला में माध्यमिक शिक्षा के अध्यक्ष समेत बड़े प्रोफेशनल्स से गाइडेंस मिला है. अभूतपूर्व मेडिकल स्टडी के प्रति उनका डेडिकेशन दुनिया भर के लोगों को इंस्पायर करता रहता है.

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अकृत की जर्नी से पता चलता है कि महानता प्राप्त करने में उम्र कोई बाधा नहीं है. उनकी कहानी एक पावरफुल रिमाइंडर है कि जुनून, कड़ी मेहनत और अपनी क्षमताओं में विश्वास के साथ, अविश्वसनीय उपलब्धियां संभव हैं.

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