UPSC Civil Servants Training: देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में हर साल लाखों युवा शामिल होते हैं. केवल कुछ ही लोग परीक्षा और साक्षात्कार में सफल हो पाते हैं और चयनित हो पाते हैं. अब हम सभी ने यूपीएससी को क्रैक करने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है ये सुना और देखा है, लेकिन यूपीएससी पास करने के बाद क्या होता है? एक आईएएस ऑफिसर को किस तरह से ट्रेनिंग मिलती है? यहां जानिए सबकुछ...


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यहां भेजा जाता है ट्रेनिंग के लिए 
जो उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा पास करते हैं और आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस पदों के लिए चुने जाते हैं, उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में प्रशिक्षित किया जाता है. हर ऑफिसर को सबसे पहले एक फाउंडेशन कोर्स करना होता है, जिसकी ड्यूरेशन चार महीने होती है. इस दौरान उन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की मूल बातें सिखाई जाती हैं.  


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फर्स्ट स्टेज 
पहले फेज में सभी चयनित अधिकारियों को कानून, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र और भारतीय राजनीति के बारे में भी सिखाया जाता है. यहां ट्रेनिंग के दौरान उम्मीदवारों को अलग-अलग अनुभव मिलते हैं. इस दौरान उनके लिए उन्हें ट्रीप पर भी भेजा जाती है, ताकि भावी अधिकारियों को फील्ड से ही प्रैक्टिकल नॉलेज मिल सके.


जमीनी अनुभवों के लिए कराए जाते हैं टूर्स 
ट्रेनी ऑफिसर्स को हिमालयन स्टडी टूर्स और गांव के दौरे पर ले जाया जाता है. कुछ उम्मीदवारों के लिए 40 दिनों का भारत दौरा भी आयोजित किया जाता है, जो उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों और उनके समाज की कठिनाइयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है.  इन एक्टिविटीज के बाद ट्रेनी ऑफिसर्स को कैडर अलॉट किए जाते हैं. इसके बाद उस कैडर की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता है.


ट्रेनिंग के पहले फेज के बाद क्या होता है?
ट्रेनी अधिकारियों की ट्रेनिंग का सेंकड फेज उनके फील्ड से लौटते ही शुरू हो जाता है. उन्हें प्रैक्टिकल और ऑन-ग्राउंड एक्सपीरियंस के साथ लौटते हैं. सभी ट्रेनी ऑफिसर अपनी ट्रेनिंग के दौरान मिले अनुभवों के साथ-साथ अपनी कहानियां और चुनौतियां साझा करते हैं. 


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कब मिलती है पोस्टिंग? 
अगला कदम थ्योरीटिकल ट्रेनिंग पूरी करना है. उनके ऑन-ग्राउंड प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस के आधार पर उन्हें उनके फील्ड की बारीकियां समझाई जाती हैं. आईएएस ट्रेनी ऑफिसर को लोक प्रशासन और शासन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाती है और उनसे कैसे उन दिक्कतों से पार पाया जाए, ये ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही उन्हें फील्ड में तैनात किया जाता है.