NEET UG 2023 का रिजल्ट आ चुका है अब अगला स्टेप काउंसलिंग का है. अब मेडिकल काउंसलिंग कमेटी जुलाई में देशभर में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और नर्सिंग जैसे ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए काउंसलिंग शुरू करने वाली है. इसके तहत आपको अपनी पसंद के क्रम में सब्जेक्ट, संस्थान या कॉलेज भरना होगा. खास बात ये है कि वेबसाइट पर छात्र अपनी इच्छा के मुताबिक ऑप्शन भर कर सकते हैं. जो उम्मीदवार एम्स, जिपमेर, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटीज द्वारा पेश किए गए MBBS, BDS कोर्सेज आदि में एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें मेडिकल काउंसलिंग कमेटी की वेबसाइट mcc.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. आइए नीट काउंसलिंग को विस्तार से समझें ताकि मेडिकल कॉलेज तक की यात्रा को निर्बाध रूप से संचालित किया जा सकें.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

NEET UG परीक्षा उम्र सीमा में बदलाव


अगले साल होने वाली इस परीक्षा के लिए एनएमसी ने आयु सीमा और टाई ब्रेकिंग नियमों में बदलाव किया है. जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब नीट यूजी के लिए आवेदन करने वाले कैंडिडेट्स की उम्र 31 जनवरी को या उससे पहले 17 साल होनी चाहिए. पहले न्यूनतम आयु की गणना 31 दिसंबर से की जाती थी.


इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ेगी जरूरत
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, नीट यूजी की काउंसलिंग के दौरान स्टूडेंट्स को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स सब्मिट करने होंगे.


  • नीट एडमिट कार्ड, नीट यूजी स्कोरकार्ड, कक्षा 10वीं की मार्कशीट.

  • कक्षा 12वीं का प्रमाण पत्र और मार्कशीट आईडी प्रूफ (आधार/ पैन कार्ड/ ड्राइविंग लाइसेंस/ पासपोर्ट)

  • 8 पासपोर्ट साइज फोटो.

  • जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो तो), पीडब्ल्यूडी प्रमाणपत्र (यदि लागू हो तो).

  • कैटेगरी प्रमाणपत्र.


ऐसे करें कॉलेज का सेलेक्शन
आमतौर पर उम्मीदवार सरकारी कॉलेजों में जाना पसंद करते हैं. सरकारी कॉलेज में दाखिला लेना किसी सपने के सच होने जैसा है. लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले, उम्मीदवारों को स्टेट कोटा के तहत निजी कॉलेजों पर भी विचार करना चाहिए. कई लोगों को यह जानकर काफी हैरानी हो सकती है कि कुछ निजी मेडिकल कॉलेज अच्छी सुविधाओं के साथ आते हैं. फीस स्ट्रक्चर के आधार पर, छात्र उनकी प्राथमिकताओं के अनुरूप निजी कॉलेजों में जा सकते हैं. मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय ने बताया कि एक अच्छा कॉलेज सिलेक्ट करते वक्त किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आगे चलकर पढ़ाई में दिक्कत न हो. उम्मीदवार एक ही समय में कई कॉलेजों का चयन कर सकता है, लेकिन उन्हें अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर कॉलेजों पर विचार करना चाहिए.


  • कॉलेज की सुविधाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए उम्मीदवार को कॉलेज की रैंकिंग देखनी चाहिए. बैकग्राउंड रिसर्च भी करना चाहिए.

  • कॉलेज तय करते समय कॉलेज के फीस स्ट्रक्चर को ध्यान में रखना जरूरी है.

  • प्लेस और एनवायरमेंट भी अन्य निर्णायक कारक हैं. चूंकि स्टूडेंट्स को वहां 5 साल से ज्यादा समय तक रहना होगा, इसलिए उम्मीदवारों को उस शहर का चयन करना चाहिए जिसमें वे सहज हों.


ऐसे मिलेगा मिलेगा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन
आधिकारिक वेबसाइट पर सभी डिटेल अपलोड करने के बाद स्टूडेंट्स को एक मेल या मैसेज भेजा जाएगा. इसके आधार पर उनकी काउंसलिंग की जाएगी. नीट यूजी काउंसलिंग पूरी होने के बाद स्टूडेट्स के पास संस्थान से मैसेज आएगा. संस्थान से मैसेज मिलने के बाद आपको कॉलेज जाकर फीस और अन्य डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे.


ऐसे होती है ऑल इंडिया और स्टेट काउंसलिंग
मेडिकल कॉलेजों में सीटें दो लेवल की काउंसलिंग से भरी जाती हैं. देश के सभी सरकारी कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें भरने के लिए ऑल इंडिया काउंसलिंग होती है जबकि शेष 85 फीसदी सीटें स्टेट काउंसलिंग से भरी जाती हैं. राज्य के सरकारी और निजी, दोनों कॉलेज स्टेट काउंसलिंग के अंतर्गत आते हैं. राज्य के मूल निवासी उम्मीदवार राज्य विशेष की काउंसलिंग के लिए आसानी से आवेदन कर सकते हैं. कुछ मामलों में, उम्मीदवार दूसरे राज्यों में भी काउंसलिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं, भले ही उनके पास उस विशेष राज्य का मूल निवास न हो.


पिछले सालों के रिकॉर्ड को देखते हुए, 650 से ज्यादा का एक अच्छा स्कोर स्टूडेट्स को ऑल इंडिया काउंसलिंग के माध्यम से सरकारी कॉलेज में सीट सुरक्षित कर सकता है. स्टेट काउंसलिंग के माध्यम से एडमिशन पाने के लिए, 550 और उससे ज्यादा का स्कोर उम्मीदवारों को सरकारी कॉलेजों में सीट दिला सकता है.


चार फेज में होती है काउंसलिंग


  • फेज -1 

  • फेज -2

  • मॉप अप

  • स्ट्रे वैकेंसी राउंड


यदि सीटें उपलब्ध हैं, तो संभावना है कि एमसीसी एक्स्ट्रा वैकेसी राउंड भी आयोजित कर सकता है. जिन उम्मीदवारों को राउंड 1 और 2 में सीट नहीं मिली, वे मोप अप राउंड का फायदा उठा सकते हैं. यदि स्टूडेंट्स पहले तीन राउंड में इसे बनाने में विफल रहते हैं, तो वे स्ट्रे वैकेंसी राउंड का इंतजार कर सकते हैं जो खाली सीटों के लिए आयोजित किया जाता है.