Inspiring Story Of IAS: आईएएस अधिकारी बनने का क्या मतलब है? इस अधिकारी के लिए यह उनकी सादगी के बारे में था न कि पद के बारे में. रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने इसे नहीं छोड़ा है. हम बात कर रहे हैं रिटाय आईएएस ऑफिसर कमल ताओरी की. इतनी रैंक होने के बावजूद कमल ताओरी सादा जीवन और उच्च विचार की अवधारणा में विश्वास रखते हैं.


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कमल ताओरी का जन्म 1 अगस्त, 1946 को महाराष्ट्र के वर्धा में हुआ था. कमल ताओरी में बचपन से ही कुछ अलग करने का जज्बा था और यही जज्बा उन्हें हमेशा नामुमकिन को मुमकिन में बदलने की हिम्मत देता था. सिविल सेवाओं में शामिल होने से पहले कमल ताओरी ने छह साल तक सेना में सेवा की.


कुछ लोग डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी और कुछ दुकानदार के रूप में काम करते हैं. वैसे ही हर व्यक्ति की अपनी अलग पहचान होती है, लेकिन जब 1968 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी की बात आती है, तो कमल ताओरी सिर्फ एक आईएएस अधिकारी नहीं थे.


उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए स्वैच्छिक संगठनों और सरकार के बीच साझेदारी को प्रमोट करने और समन्वय करने के लिए एक नोडल एजेंसी, पीपुल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी (CAPART) को बनाने के लिए परिषद का नेतृत्व करने के अलावा कई विभागों में कलेक्टर, आयुक्त और केंद्रीय सचिव के रूप में भी काम किया.


2006 तक वे कई जिलों के कलेक्टर और कई जगहों के कमिश्नर होने के अलावा राज्य और केंद्र सरकार के कई जरूरी विभागों के सचिव रहे हैं. अब रिटायर होने के बाद भी उन्होंने देश सेवा के काम को बरकरार रखा है, बस अब तरीका अलग है. इस समय वे युवाओं को बेरोजगारी पर प्रहार करने के लिए जागरूक कर रहे हैं. वे युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हैं और लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने का हुनर ​​सिखाते हैं.


उन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवा के दौरान कर्नल का पद संभाला और फिर 1968 में आईएएस अधिकारी बने. अपनी अधिकारी रैंक की नौकरी से रिटायरमेंट के बाद, कमल ताओरी ने ग्रामीण विकास और ग्रामोद्योग जैसे विभागों में लोगों की सेवा करना जारी रखा.