UPSC की तैयारी के लिए अपनाया ये स्मार्ट स्टडी फॉर्मूला, बिना कोचिंग के दूसरे अटेंप्ट में मिली सफलता
UPSC Success Story: IAS कस्तूरी पांडा ने अपने दूसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 67 हासिल की हैं. पहले प्रयास में असफल होने के बाद उन्होंने अपनी खामियों पर काम किया और सफलता हासिल की. पढ़ें उनकी सफलता की कहानी...
IAS Kasturi Panda Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. सफलता पाने के लिए यूपीएससी एस्पिरेंट्स दृढ़ता के साथ तैयारी करते हैं. लगातार मेहनत के बाद भी कम ही उम्मीदवार इस परीक्षा में सफल होते हैं.
हालांकि, कुछ एस्पिरेंट्स ऐसे भी है जो बिना कोचिंग के केवल सेल्फ स्टडी (Self Study) करके ही एग्जाम क्रैक कर लेते हैं. यूपीएससी पास करने वाले उम्मीदवारों की सफलता की कहानियों से युवाओं को प्रेरणा मिलती है. ऐसी ही एक आईएएस अधिकारी कस्तूरी पांडा (IAS Kasturi Panda) के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
कंप्यूटर साइंस में किया है बीटेक
ओडिशा की मूल निवासी कस्तूरी पांडा ने साल 2022 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की. उन्होंने बिना किसी कोचिंग के अपने दूसरे प्रयास में 67वां स्थान हासिल किया. कस्तूरी ने NIT राउरकेला से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है. पहले प्रयास में असफल होने के बाद उन्होंने अपनी कमियों पर काम किया और यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की.
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स्मार्ट स्टडी फॉर्मूला
कस्तूरी पांडा का कहना है कि यूपीएससी के पूरे सिलेबस को स्मार्ट स्टडी फॉर्मूला अपनाकर कवर किया जाना चाहिए. उनके अनुसार बेसिक चीजें पढ़कर UPSC की तैयारी करनी चाहिए. कस्तूरी यूपीएससी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को यह सलाह देती हैं कि तैयारी के लिए बेसिक किताबें जरूर पढ़ें. उन्होंने खुद 9वीं से 12वीं कक्षा तक की किताबों में से यूपीएससी के लिए अपना बेस तैयार किया था.
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पढ़ाई पर किया पूरा फोकस
कस्तूरी ने घर पर रहकर ही परीक्षा के लिए पढ़ाई पर फोकस किया और कई टेस्ट पेपर हल किए. जानकारी के मुताबिक उन्होंने साल 2022 के प्रयास में लगभग 30 ही फुल लेंथ टेस्ट दिए थे, लेकिन पिछले मॉक टेस्ट को भी रिवाइज किया था. उन्होंने दोनों प्रयास में अच्छे मार्जिन के साथ बढ़िया स्कोर किया था. 100 से ज्यादा अंकों के लिए वह 2 घंटे में लगभग 90-94 सवालों का जवाब देने का प्रयास करती थीं. उनका कहना है कि शुरू में केवल 40-60 के रेंज में बहुत कम स्कोर होता था, लेकिन लगातार और बार बार रिवीजन करने से स्कोर सुधरता है.