Foreign Students in India: भारतीय शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक प्रमुख पहल, स्टडी इन इंडिया (Study In India) पोर्टल को एकेडमिक ईयर 2024-25 के लिए 200 देशों से रिकॉर्ड 72,218 छात्र मिले हैं. एकेडमिक ईयर 2014-15 की संख्या में उल्लेखनीय उछाल के बाद, कोविड के कारण इसमें काफी गिरावट देखने को मिली. हालांकि, सरकार के नए बहुआयामी प्रयासों ने इस साल अपना प्रभाव दिखाया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कोविड के कारण विदेशी छात्रों की संख्या घटी
एकेडमिक ईयर 2011-12 में भारत में विदेशी छात्रों की संख्या 16,410 थी, जो 2014-15 में बढ़कर 34,774 हो गई. वहीं, 2016-17 में यह संख्या 47,575 दर्ज की गई और 2019-20 में कोविड से पहले की संख्या 49,000 से अधिक थी. हालांकि, सरकारी सूत्रों के अनुसार, कोविड-19 के दौरान और महामारी के बाद, संख्या घटकर 2014-15 के आसपास रह गई.


​एकेडमिक ईयर भारत में विदेशी छात्रों की संख्या
2011-12 16,410
2014-15 34,774
2015-16 42,293
2016-17 47,575
2017-18 46,144
2018-19 47,427
2019-20 49,348
2023-24 64,000
2024-25 72,218

लॉन्च किया गया स्टडी इन इंडिया पोर्टल
शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2018 में एक फ्लैगशिप प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम का उद्देश्य भारत को अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में पेश करना था. हालांकि, इन पहलों को सीमित सफलता ही मिली और यह प्रोजेक्ट अपने लक्ष्यों से चूकता हुआ दिखाई दिया. शिक्षा मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "कोविड का दुनिया भर में शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ा. भारत पर भी इसका प्रभाव अलग नहीं था." इसके बाद, केंद्र ने अगस्त 2023 में स्टडी इन इंडिया (SII) पोर्टल लॉन्च किया, जो विदेशी छात्रों के एडमिशन और वीजा के लिए आवेदन करने के लिए एक सेंट्रलाइज्ड प्लेटफॉर्म है.


सरकार सिलेबस को ग्लोबल स्टैंडर्ड के साथ जोड़ रही
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा "भारत सक्रिय रूप से एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को पुनः प्राप्त कर रहा है, जो तक्षशिला और नालंदा जैसे प्राचीन संस्थानों की याद दिलाता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मूल में, सरकार सिलेबस को ग्लोबल स्टैंडर्ड के साथ जोड़कर, रिसर्च सहयोग को बढ़ावा देकर और देश को ग्लोबल नॉलेज लीडर के रूप में स्थापित करने के लिए एकेडमिक आदान-प्रदान की सुविधा देकर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को आगे बढ़ा रही है."