JNUSU President: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई नए चीफ प्रॉक्टर ऑफिस मैनुअल के तहत की गई है. आदेश के मुताबिक, मार्च में कैंपस में छात्र संघ ऑफिस के बंद दरवाजे को जबरन धक्का देकर खोलने के लिए आइशी पर जुर्माना लगाया गया है. आदेश में कहा गया है, आइशी घोष का यह एक्ट गंभीर प्रकृति का है, अशोभनीय है. वह जेएनयू की एक स्टूडेंट हैं और उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है. हालांकि, उनके करियर की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, सक्षम प्राधिकारी ने मामले में कुछ हद तक नरम रुख अपनाया है. 


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आदेशों की निंदा करते हुए आइशी घोष ने आरोप लगाया कि कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित और जेएनयू प्रशासन जुर्माने के जरिए अपनी जेबें भर रहे हैं. "छात्रों को दयनीय और बिगड़ते बुनियादी ढांचे और एकेडमिक क्वालिटी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और स्टूडेंट्स द्वारा अपनी असहमति व्यक्त करने का एकमात्र तरीका हो रहे अन्याय के खिलाफ विरोध करना है. अंत में, जुर्माना भी इस तरह से लगाया जाता है कि पूरी असहमति को खत्म किया जा सके, अंकुश लगाया गया है और एक ऐसी संस्कृति का निर्माण किया जा रहा है जहां गंभीर अन्याय होने पर भी कोई विरोध नहीं होता है."


आइशी घोष जेएनयू से एमफिल/ पीएचडी कर रही हैं. जेएनयू कार्यकारी परिषद ने संशोधित चीफ प्रॉक्टर ऑफिस (सीपीओ) मैनुअल को नवंबर में मंजूरी दे दी है. मैनुअल के मुताबिक, जेएनयू ने एकेडमिक बिल्डिंग और क्लास के 100 मीटर के दायरे में विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है. नए नियमों का उल्लंघन करने वालों को निष्कासन के साथ 20,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.


इसके अलावा, देश विरोधी नारे लगाने और धर्म, जाति या समुदाय के प्रति असहिष्णुता भड़काने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. जेएनयू छात्र संगठन की नेता आइशी घोष ने मैनुअल पर सवाल उठाते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट कार्यकारी समिति की बैठक में पारित किया गया था इसमें कोई छात्र प्रतिनिधि नहीं है और एकेडमिक परिषद में भी कोई चर्चा नहीं हुई है.