Difference Between DM and ADM: डीएम और एडीएम दोनों सरकारी तंत्र के अहम और प्रभावी पद हैं. कलेक्टर जैसे पावरफुल पद के बारे में बचपन से सुनते आ रहे हैं. बचपन में कई बार अपने स्कूल या जिले के किसी खास इंवेंट्स में शिरकत करते हुए आपने इन्हें देखा होगा. आप इनसे जरूर प्रभावित हुए होंगे. बहुत से लोगों को इस बारे में नहीं पता होता है कि डीएम और एडीएम में अंतर है और इन दोनों में ज्यादा पावर किसे दी गई है...


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लॉ एंड ऑर्डर
यह दोनों ही पद अपने क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण पद होते हैं. एडीएम यानी कि असिस्टेंट डिप्टी कमिश्नर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी कि कलेक्टर दोनों ही अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों के बारे में बहुत अच्छे जानकार होते हैं. डीएम और एडीएम के अंतर्गत पूरे जिले के लॉ एंड ऑर्डर से लेकर रेवेन्यू कलेक्शन से संबंधित तमाम कार्य आते हैं.


प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन
एडीएम और कलेक्टर दोनों ही अपने क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करते हैं, लेकिन दोनों की जिम्मेदारियां और कार्यक्षेत्र अलग-अलग होते हैं. कलेक्टर की मुख्य जिम्मेदारी और उद्देश्य पूरे जिले के प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन करना होता है. वहीं, एडीएम संबंधित ऑफिसर्स के साथ मिलकर काम करते हैं.


सरकारी पदानुक्रम 
कलेक्टर की सीधी रिपोर्ट गवर्नमेंट हायरार्की में एडीएम से ऊपर होती है. वह शहर के विकास, विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रबंधन और वित्तीय प्रशासन को सुनिश्चित करते हैं. एडीएम भी अहम जिम्मेदारी निभाते हैं, जिसमें अनुशासनिक कार्यवाही, कुशल तालिम और प्रबंधन, लेकिन वे अपने प्रभाव की दृष्टि से कम होते हैं.


ज्यादा पावरफुल पद 
एक जिले की संपूर्ण प्रशासनिक पावर और अधिकार डीएम को ही दिए जाते हैं, जो उन्हें शासन करने की ज्यादा और पूरी आजादी देते हैं. हालांकि, एडीएम भी अपने क्षेत्र से जुड़े सभी अहम फैसले लेते हैं, लेकिन उनके प्राधिकरण और प्रभाव के स्तर डीएम के मुकाबले कम होते हैं.


इस तरह जिले में जीएम और एडीएम दोनों ही पदों की अपना महत्व है, लेकिन सरकारी सिस्टम में डीएम को प्रमुख प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.