K Jayaganesh IAS Success Story: बहुत सारे लोगों को अपने सपने को छोड़ना पड़ता है क्योंकि उन्हें पूरा करने का सौभाग्य उनके पास नहीं होता है, लेकिन इन आईएएस अफसर ने अपनी मेहनत से यह सुनिश्चित किया कि वह जो चाहते हैं उसे हासिल करके रहेंगे. हम बात कर रहे हैं आईएएस अधिकारी के जयगणेश की, जिन्होंने अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अलग-अलग जगह काम किया. अपने आईएएस के सफर के दौरान के जयगणेश को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और अपने लक्ष्य को हासिल किया.


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वेल्लोर जिले के विनावमंगलम के एक छोटे से गांव में के जयगणेश आर्थिक रूप से कमजोर बैकग्राउंड से थे. उनके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे और किसी तरह परिवार का खर्च चलता था. जयगणेश हमेशा अपने गांव के लोगों की दयनीय स्थिति के बारे में सोचते थे. उनके गांव के लोग गरीब थे और वह अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहते थे.


आईएएस के जयगणेश ने अपने गांव के स्कूल में 8वीं तक पढ़ाई की और दसवीं पूरी करने के बाद, जयगणेश ने एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया क्योंकि उन्हें बताया गया था कि पास होते ही उन्हें नौकरी मिल जाएगी. वहां उन्होंने 91 फीसदी नंबरों के साथ परीक्षा पास की और फिर तांठी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक कंपनी में नौकरी भी मिल गई, जहां उन्हें 2,500 रुपये महीना सैलरी मिलती थी.


उसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि इस सैलरी से परिवार चलाना आसान नहीं है. दूसरी तरफ वे भी आईएएस बनने का सपना देख रहे थे इसलिए उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी में लग गए. के जयगणेश ने सिविल सेवा परीक्षा को चुना था लेकिन इस सफर को पूरा करना इतना आसान नहीं था. जयगणेश छह बार सिविल सर्विस परीक्षा में फेल हुए लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. जयगणेश और उनके परिवार के लिए पारिवारिक दबाव और आर्थिक परेशानी भी पैदा हो गई थी, लेकिन जयगणेश ने फिर भी हार नहीं मानी और छोटे-मोटे काम करते रहे. वह यूपीएससी की परीक्षा में फेल हो गए थे लेकिन इसी बीच उनका चयन इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की परीक्षा के लिए हो गया.


उनके लिए यह तय करना बहुत मुश्किल था कि वह अपना संघर्ष छोड़कर नौकरी चुनें या सातवीं बार यूपीएससी की परीक्षा दें. आखिरकार उन्होंने यूपीएससी को चुना और के जयगणेश की मेहनत रंग लाई और उन्होंने इस परीक्षा में 156वीं रैंक हासिल की. खुद पर विश्वास और लगातार कड़ी मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई.


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