Success Story: देख नहीं सकते, फिर भी बने IAS अफसर; UPSC Exam में हासिल की 7वीं रैंक
Samyak Jain Success Story: दिल्ली के सम्यक जैन ने UPSC परीक्षा में 7वीं रैक हासिल की है. सम्यक देख नहीं सकते. इसके बाद उन्होंने हर बाधा को पार कर सफलता हासिल की है. सम्यक ने दिल्ली के IIMC और JNU से पढ़ाई की है.
Samyak Jain Success Story: कहते हैं कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. इस बात को सच साबित किया है सम्यक जैन (Samyak Jain) ने. सम्यक जैन देखने में सक्षम नहीं है इसके बाद भी उन्होंने हर बाधा को पार किया और यूपीएससी (UPSC-2021) की परीक्षा में 7वां स्थान हासिल किया. सम्यक का कहना है कि सिविल सर्विसेज एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए जरूरतमंद लोगों की काफी मदद की जा सकती है. इसलिए उन्होंने सिविल सर्विसेस को चुना है. सम्यक की स्कूली शिक्षा मुंबई से हुई है और उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है.
UPSC में चुना इंटरनेशनल रिलेशनशिप विषय
यूपीएससी के लिए सम्यक ने इंटरनेशनल रिलेशनशिप और राजनीति शास्त्र जैसे विषय चुने. सम्यक अन्य लोगों को प्ररेणा देते हुए कहते हैं कि न देख सकने वाले व्यक्तियों को निराश होने की कतई आवश्यकता नहीं है. आवश्यकता बस मेहतन करने की है. जो छात्र देख नहीं सकते उनके लिए भी सभी प्रकार की किताबें उपलब्ध है. ये किताबें ऑनलाइन भी उपलब्ध है. यहां ऑनलाइन माध्यमों पर तो यह पुस्तकें बकायदा निशुल्क है. उन्होंने अपने जैसे अन्य छात्रों को आत्मविशवास सदैव ऊंचा बनाए रखने की सलाह दी है.
परिवार को दिया सफलता का श्रेय
सम्यक जैन दिल्ली के रोहिणी में रहते हैं. यूपीएससी में मिली कामयाबी के बाद सम्यक का कहना है इस सफलता का बड़ा श्रेय उनके परिवार को जाता हैं. परिवार में भी सबसे अधिक वह अपनी मां को अपनी कामयाबी का श्रेय दे रहे हैं.
मां ने हर पल दिया साथ
सम्यक जैन ने बताया कि यूपीएससी के नियमों के मुताबिक परीक्षा में उन्हे उत्तर लिखने के लिए लेखक की आवश्यकता थी और यह आवश्यकता सम्यक की मां वंदना जैन ने पूरी की. यानी सम्यक प्रशनों के उत्तर बोलते थे और उनकी मां इन उत्तरों को आंसरशीट पर लिखती थीं. वो याद करते हुए बताते हैं कि परिवार के सभी सदस्य इस मिशन में उनके साथ जुटे रहे. उनके मामा उन्हें कोरोना काल में परीक्षा दिलाने ले जाया करते थे. उनके उनके पिता एअर इंडिया में नौकरी करते हैं.
IIMC और JNU से की पढ़ाई
सम्यक को स्कूली पूरी करने तक यह समस्या नहीं थी तब वह भली-भांति देख सकते थे. 20 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी कम होना शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे उन्हें सब कुछ दिखना बंद हो गया. बावजूद इसके उनका हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने दिल्ली के IIMC से आगे की पढ़ाई की. पढ़ाई का सिलसिला इसके बाद भी नहीं रुका और उन्होंने जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन की डिग्री हासिल की.
(इनपुट- आईएएनएस)
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