School Admission EWS Category: हर साल, दिल्ली के निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के स्टूडेंट्स को आवंटित लगभग 20 फीसदी सीटें खाली हो जाती हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के एक दिन बाद कि ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए पात्र होने वाले बच्चे की आय की सीमा को मौजूदा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाए, एक्सपर्ट्स ने कहा कि इससे इसके तहत कोटा आवेदनों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. लेकिन खाली सीटों में कोई खास बदलाव की उम्मीद नहीं है.


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इस साल, 2,001 निजी स्कूलों में 25% कोटा के तहत 35,000 सीटों के लिए लगभग 2.09 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे. इनमें से करीब 6,500 अभी भी खाली हैं.


"यह सबसे पॉपुलर 100 स्कूल हैं जहां आमतौर पर एडमिशन के लिए होड़ लगी रहती है. बाकी स्कूलों में कंप्टीशन बहुत ज़्यादा नहीं है. इनमें से कई बजट निजी स्कूल हैं जहां फीस 1,500 रुपये से 2,500 रुपये प्रति माह के बीच है. उनके लिए सरकार द्वारा दिए गए रिंबर्समेंट जरूरी हैं और वे आवेदन प्राप्त करने से खुश हैं लेकिन उन्हें ज्यादा एडमिशन नहीं मिलते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक दिल्ली सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, कुछ लोग ड्रा में आवंटित निजी स्कूल की जगह नया सरकारी स्कूल चुनेंगे.


लेकिन सीटें खाली क्यों रह जाती हैं? एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का इंपलीमेंटेशन, जो कैटेगरी के तहत 25 फीसदी आरक्षण की गारंटी देता है, मुश्किल साबित हुआ है. यहां तक ​​कि 400 से ज्यादा स्कूलों के लैंड एग्रीमेंट का एक सेक्शन, जिसमें अधिनियम लागू होने से पहले ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए आरक्षण जरूरी  था, यह भी पेचीदा है और मुकदमेबाजी में फंसा हुआ है.