IAS IPS Selection Process: जब यूपीएससी का रिजल्ट आता है तो उनमें से कुछ कैंडिडेट्स IAS के लिए कुछ IPS के लिए और कुछ कैंडिडेट्स का सेलेक्शन IFS के लिए होता है, लेकिन सबसे बड़ा कन्फ्यूजन ये है कि यह तय कैसे होगा कि कौन क्या बनेगा क्योंकि परीक्षा तो सभी ने एक जैसी ही पास की है और कैंडिडेट्स की संख्या भी हजारों में नहीं होती है. तो आज हम आपको इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं कि यह कैसे तय होता है. 


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इसके लिए एक निश्चित प्रोसेस होता है, जिसके जरिए यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों को पोस्ट दी जाती हैं.


किस कैंडिडेट को कौनसी पोस्ट दी जाती है. यह कई चीजों पर निर्भर करता है कि किस को कौनसी पोस्ट दी जाएगी. दरअसल, पहले तो ये होता है कि परीक्षार्थियों से पहले ही उनकी प्राथमिकता पूछ ली जाती है. उसके आधार पर भी पोस्ट का बंटवारा होता है. वैसे सामान्य तौर पर रैंकिंग के आधार पर पदों का बंटवारा होता है, जिसमें टॉप रैंक पर रहने वाले उम्मीदवारों को आईएएस, आईएफएस जैसी सर्विस मिलती है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सभी टॉप कैंडिडेट को आईएएस बनाया जाएगा, अगर मान लीजिए किसी कैंडिडेट की रैंक अच्छी है और प्राथमिकता आईपीएस है तो उन्हें आईपीएस दिया जाएगा. यानी इसमें आपकी प्राथमिकता और रैंक के आधार पर सर्विस का बंटवारा होता है.


इसके अलावा खाली पदों के आधार पर भी सर्विस बांटी जाती है, जिससे कई बार कम रैंक वाले कैंडिडेट्स को भी आईएफएस आदि सर्विस मिल जाती है. बता दें कि हर बार सिविल सर्विस के पदों में आईएएस, आईपीएस आदि के लिए पदों की संख्या तय रहती है.


UPSC पास करने के बाद यहां भी मिलती है नौकरी
सिविल सर्विसेज परीक्षा में पास होने के बाद कैंडिडेट आईएएस या आईपीएस ही बनते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है. सिविल सर्विसेज के बाद 24 सर्विस में कैंडिडेट्स की नियुक्ति की जाती है. बता दें कि सर्विसेज में दो कैटेगरी होती है, जिसमें ऑल इंडिया सर्विसेज और सेंट्रल सर्विसेज शामिल है. ऑल इंडिया सर्विसेज में तो आईएएस, आईपीएस आदि पद आते हैं. वहीं सेंट्रल सर्विस में इंडियन फॉरेन सर्विस यानी आईएफएस, आईआईएस, आईआरपीएस, आईसीएसी आदि पद आते हैं. वहीं, आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर्स सिविल सर्विस भी इसमें आती है.



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