Book Shapes: अपने आसपास हम चीजों को गोल, तिकोने या दूसरे शेप में देखते हैं, लेकिन किताबें हमेशा चौकोर शेप ही देखने को मिलती है. आखिर किताबें चौकोर शेप में ही क्यों होती हैं? जानिए इसकी दिलचस्प कहानी...
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Why Are Books always Rectangular Shape: सदियों से किताबें हमारे लिए नॉलेज पाने और सीखने का जरिया रही हैं और आज भी किताबों उतनी ही अहमियत रखती हैं. हालांकि, समय के साथ इंसान के पढ़ने-लिखने के तौर-तरीके भी बहुत बदल गए हैं. आज डिजिटल मीडिया की दुनिया में चलते फिरते कहीं भी एक छोटी-सी स्क्रीन पर ढेरों किताबों हम अपने साथ कैरी कर सकते हैं. हम अपने आस-पास की चीजों को गोल या अन्य आकार में देखते हैं, बुक्स का आकार हमेशा चौकोर होता है, क्या कभी आपके मन में यह सवाल उठा है कि क्यों किताबें चौकोर ही होती हैं. जानिए इसके पीछे क्या है खास वजहें...
क्या यह हमेशा एक जैसा था?
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन पुस्तकें हमेशा आयताकार नहीं होती थीं. हालांकि, जब चर्मपत्र अस्तित्व में आया तो चीजें बदल गईं. चर्मपत्र जानवरों की खाल से बनाया जाता था. चर्मपत्र बनाने के लिए खाल को खींचकर मोड़ा जाता था, जिसके परिणामस्वरूप आयताकार पन्ने बनते थे.
क्यों चौकोर होती हैं किताबें
1. पढ़ने में सहूलियत
किताबों का चौकोर आकार उन्हें पढ़ने में बेहद सुविधाजनक बनाता है. जब आप किताब पढ़ते हैं, तो इसे एक हाथ से पकड़ना और दूसरे हाथ से पन्नों को पलटना आसान होता है. चौकोर शेप पन्नों को व्यवस्थित रखता है. इसके अलावा इसे आसानी से खोला और बंद किया जा सकता है, जो रीडर के लिए उपयोगी है. यह न केवल उपयोग में आसान है, बल्कि किताबों को टिकाऊ भी बनाता है.
2. स्टोरेज में आसानी
चौकोर किताबें स्टोरेज के लिहाज से भी बेहतर होती हैं. इन्हें एक-दूसरे के ऊपर रखा जा सकता है, जिससे कम जगह में ज्यादा बु्क्स रखी जा सकती हैं. अलमारी या शेल्फ में किताबें ढूंढना और निकालना भी बेहद आसान होता है. साथ ही, चौकोर किताबों से सजी शेल्फ सुव्यवस्थित और आकर्षक लगती है.
3. कागज का नेचर
कागज का उत्पादन आमतौर पर चौकोर या आयताकार शीट्स में होता है. इससे किताबों को छपाई और बाइंडिंग में आसानी होती है. इस प्रक्रिया में कचरे कम निकलता है, जिससे किताबों को बनाना किफायती पड़ता है. बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए यह सबसे परफेक्ट आकार है.
4. ऐतिहासिक कारण
प्राचीन समय में जब किताबें हाथ से लिखी जाती थीं, तब चौकोर ही सबसे व्यावहारिक आकार था. कागज की शीट्स पर लिखना और उन्हें एक साथ जोड़ना आसान था. उस समय से आज तक लेकर किताबें इसी शेप में बनती आ रही है.
5. सटैंडर्ड रेश्यो
किताबों के आकार-प्रकार में अंतर होता है, लेकिन लगभग सभी में एक समान रेश्यो देखने को मिलता है. आमतौर पर चौड़ाई और ऊंचाई का अनुपात 5:8 होता है, जो किताबों को बैलेंसिग बनाता है. यह रेश्यो न केवल प्रिंटिंग, बल्कि डिजाइनिंग के लिए भी आदर्श माना जाता है.
6. गोल या त्रिकोनी क्यों नहीं?
गोल या त्रिकोने आकार की किताबें न तो स्टोरेज के लिए उपयुक्त होती हैं, न ही उनका उत्पादन आसान होता है. इस शेप की किताबों में पन्नों को व्यवस्थित रखना और पलटना मुश्किल हो सकता है.
7. प्राचीन और नई किताबें एक सी
प्राचीन समय की किताबें और आज की किताबों में एक खास समानता है. पुराने समय की किताबें थोड़ी लंबी होती थीं, लेकिन उनका रेश्यों लगभग वैसा ही था जैसा आज की किताबों का है. जो यह दिखाता है कि चौकोर या आयताकार शेप हमेशा से ही किताबों के लिए सबसे उपयुक्त रहा है.
8. डिजिटल फॉर्मेट
आज, जब किताबें डिजिटल फॉर्मेट में आ चुकी हैं, तब भी ई-बुक्स या पीडीएफ फाइल्स का लेआउट चौकोर ही होता है. यह दिखाता है कि यह आकार न केवल पारंपरिक किताबों के लिए, बल्कि लेटेस्ट टेक्नोलॉजू के लिए भी आदर्श है.